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________________ ५८५ मा विषय सूत्रक पृष्ठांक विषय सूत्रोक पृष्ठक अपरिणत-परिणत ताल प्रलम्ब के ग्रहण का मूर्धाभिषिक्त राजा के निकाले हुए आहार लेने विधि-निषेध ५८७ के प्रायश्चित्त सूत्र ५६२ अपरिणत-परिणत आम ग्रहण का विधि निषेध ६६३ ५८. विविध स्थानों में राजपिण्ड लेने के प्रायश्चित्त सचित्त अंब उपभोग के प्रायश्चित्त सूत्र अपरिणत-परिणत इक्षु ग्रहण का विधि-निषेध ६६५ ५८२ प्रकीर्णक दोष-८ सचित्त इक्षु खाने के प्रायश्चित्त सूत्र ५५३ औद्देशिकादि आहार ग्रहण करने के विधि ग्रहण १६० अपरिणत-परिणत लहसुन ग्रहण का विधि-निषेध ६६७ ५८३ निमन्त्रण करने पर भी दोषयुक्त आहारादि (६) लिप्त दोष - लेने का निषेध ९६१ ५६७ संसृष्ट हाथ मादि से आहार ग्रहण के विधि सावध संयुक्त आहार ग्रहण करने का निषेध निषेध ६६८ ५६५ आहार की आसक्ति करने का निषेध ५६८ सचित्त द्रव्य से लिप्त हस्तादि से आहार ग्रहण संग्रह करने का निषेध ५६६ के प्रायश्चित्त सूत्र ६६६ संखडी निषेध और शुद्ध आहार का विधान १६५ छदित दोष ५८७ दोषरहित आहार का ग्रहण और उसका एषणा विवेक -७ परिणाम १९६५६६ गर्भवती निमित्त निर्मित आहार का विधि-निषेध ६७१ निर्दोष आहार गवेषक की और देने वाले अदष्ट स्थान में जाने का निषेध ५८७ की सुगति ६६७६०० रजयुक्त आहार ग्रहण करने का निषेध ९७३ ៥៨១ परिमोगेषगा--- पुरुष आदि बिखरे हुए स्थान में प्रवेश आहार करने का उद्देश्य १६८६०० का निषेध आहार करने के स्थान का निर्देश ECE६०० बच्चे आदि के उल्लंघन का निषेध ५८८ गोचरी में प्रविष्ट भिक्षु के आहार करने अधिक त्याज्य भाग वाले आहार ग्रहण की विधि का निषेध १७६ ५८८ उपाश्रम में आकर आहार करने की विधि अपिड के ग्रहण का निषेध ६७७ ५८८ मुनि आहार की मात्रा का ज्ञाता हो ६०२ नित्य दान में दिये जाने वाले घरों से आहार लेप सहित पूर्ण आहार करने का निर्देश ६०२ लेने का निषेध ५८६ रसगृद्धि का निषेध नित्यदान पिंडादि खाने के प्रायश्चित सूत्र १७६ ५८६ आगंतुक श्रमणों को निमन्त्रित करने की विधि आरण्यकादिकों का आहारादि ग्रहण करने के विगपभोक्ता भिक्षु प्रायश्चित सूत्र आचार्य के दिए बिना विकृति भक्षण का नैवेद्यपिंड भोगने का प्रायश्चित्त सूत्र प्रायश्चित्त सूत्र अत्युषण आहार लेने का प्रायश्चित्त सूत्र पुन: भिक्षार्थ जाने का विधान राजपिण्ड' ग्रहण करने और भोगने के पुलाक भक्त ग्रहण हो जाने पर गोचरी जाने का प्रायश्चित्त सूत्र विधि-निषेध अन्तःपुर में प्रवेश व भिक्षा ग्रहण के स.धारण आहार को आज्ञा लेकर बांटने की विधि १० प्रायश्चित्त सूत्र श्रमण ब्राह्मण आदि के लिए गृहीत आहार के मूर्धाभिषिक्त राजा के अनेक प्रकार के आहार बांटने खाने की विधि ११ ६०४ ग्रहण का प्रायश्चित्त सूत्र स्थविरों के लिए संयुक्त गृहीत आहार के परिभोग । मूर्धाभिषिक्त राजा के छः दोषायतन जाने बिना और परठने की विधि १२ ६०५ गोचरी जाने का प्रायश्चित्त सूत्र ५६ ५६१ बढ़े हए आहार सम्बन्धी विधि यात्रागत राजा का आहार ग्रहण करने के साम्भोगिकों को निमन्त्रित किए बिना परठने प्रायश्चित्त सूत्र का प्रायश्चित्त सूत्र WW ००० ६०४
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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