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________________ ८१६ ८४८ ५३५ विषय सूत्रांक पृष्ठोक विषय सूत्रांक पृष्ठाक आठ निषिद्ध स्थान ८१५ ५२४ अगाढादि वचनों के प्रायश्चित्त सूत्र ८४१ ५३२ चार प्रकार की सावध भाषाओं का निषेध ५२४ एषणा समिति-१ मृषा आदि भाषाओं का निषेध ५२४ एषणा ममिति सत्यामृषा (मिश्र) भाषा आदि भाषाओं का पिवणा स्वरूप एवं प्रकार-२ निषेध ८१८ ५२४ अवर्णवाद' आदि का निषेध सर्व दोष मुक्त आहार का स्वरूप ८४३५३३ सावध वचन का निषेध आहार निष्पादन के कारण व उसे ग्रहण करने ५२५ मटण के सनादिनानिध तथा खाने की विधि पथिकों के सावध प्रश्नों के उत्तर देने का गन्ध में आसक्ति का निषेध ५३४ निषेध मधुकरी वृत्ति ८४६ ५३४ आमन्त्रण में सावद्य भाषा का निषेध मृगचर्या वृत्ति ८४७ रोग आदि के सम्बन्ध में सावध भाषा का कापोति वृत्ति निषेध अदीन वृत्ति ८२४५२७ आहार निमित्त से भिक्षु को घुन की उपमा प्राकार आदि के सम्बन्ध में सावध भाषा का भिक्षावृत्ति के निमित्त से भिक्षु को मत्स्य निषेध २५५२८ की उपमा ८५१ उपस्कृत अशानादि के सम्बन्ध में सावध भाषा भिक्षावृत्ति के निमित्त से भिक्षु को पक्षी की का निषेध उपमा पुष्ट शरीर वाले मनुष्य त्यादि के सम्बन्ध में चार प्रकार के आहार सावध भाषा का निषेध ५३७ ८२७५२८ तीन प्रकार का आहार ८५४ ५३७ गाय आदि के सम्बन्ध में सावध भाषा का अवगृहीत आहार के प्रकार ८५५ निषेध विगय विकृति के नौ प्रकार ५२८ उद्यान आदि के सम्बन्ध में सावध भाषा का विगम के अन्य प्रकार ५२८ निषेध तीन प्रकार की एषणा ८५८ वन-फलों के सम्बन्ध में सावध भाषा का नौ प्रकार की शुद्ध भिक्षा ५३६ निषेध आहार-पाचन का निषेध औषधियों के सम्बन्ध में सावध भाषा का छह प्रकार की गोबरी ८६१ ५३६ निषेध गवेषणा-३ पान्दादि के सम्बन्ध में सावध भाषा का निषेध ५३२५३० शुद्ध आहार की गवेषणा और उपभोग का विधि-निषेध-कल्प-३ उपदेश कहने योग्य और नहीं कहने योग्य भाषा सामुदानिकी भिक्षा का विधान ८६३ दान सम्बन्धी भाषा-विवेक एषणा कुशल भिक्षु ८६४ अहितकारी भाषा विवेक भिक्षु की गवेषणा विधि साधु के जीवन में भाषा विवेक आहार-उद्गम-गवेषणा संखरि आदि के सम्बन्ध में भाषा-विवेक स्वजन-यरिजन गृह में जाने के विधि-निषेध ६७ ५३१ भदियों के सम्बन्ध में भाषा विवेक स्वजन के घर से आहार ग्रहण का विधि निषेध क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में भाषा विवेक स्वजन के घर पर अकाल में जाने का निषेध ८६६ भाषा समिति के प्रायश्चित्त-४ स्वजन परिजन के घर असमय में जाने का अल्प कठोर वचन कहने का प्रायश्चित्त सूत्र ८४० ५३२ प्रायश्चित्त सूत्र ८७० ५३८ ८५६ ५३६ རY ८३४ ५४१ ___८३८ ८६८
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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