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________________ अकालं स्वाध्याय करने और काल में स्वाध्याय नहीं करने का प्रायश्चित्त मानाचार ६६ जे भियन नासु महापाडियएसु ससाय करेइ करतं वा जो भिक्षु वैशाखी प्रतिपदा, आषाढ़ी प्रतिपदा, आश्विन साइज्जइ। तं जहा–१. सुगिम्ह-पाडियए, २. आसानी- प्रतिपदा और कातिक प्रतिपदा इन चार महा प्रतिपदाओं में पाशिवए, ३. आलोप-पाजियए, ४. फत्तिय-पाडिवए। स्वाध्याय करता है, स्वाध्याय करने के लिए कहता है, व काय करने मौका पारे। जे भिक्ख चाउकाल-पोरिसि सम्माय म करे न करतं वा जो भिक्षु चतुष्काल पौरुपी में स्वाध्याय नहीं करता है, साइजह । स्वाध्याय नहीं करने को कहता है, व स्वाध्याय नहीं करने वाले वा अनुमोदन करता है। जे भिक्खू बाउकाल-पोरिसि समार्य उबाइणावेह जवाहणा- जो भिक्षु चतुष्काल पौरुषी का स्वाध्यायकाल बीतने पर वतं वा साइज्जह। स्वाध्याय करता है, स्वाध्याय करने के लिए कहता है, व स्वाध्याय करने वाले का अनुमोदन करता है। बे मिक्सू चाउरकालं समायं न करेड न करतं वा जो भिक्षु चार काल में स्वाध्याय नहीं करता है, स्वाध्याय साहज्जा। नहीं करने के लिए कहता है, व स्वाध्याय नहीं करने वाले का अनुमोदन करता है। जे भिक्खू चाउकासं समाय उवादमावेइ उवाहणावंत वा ___ जो भिक्षु चार काल स्याध्याय का अतिकमण करता है, साइज अतिक्रमण करने के लिए कहता है, व अतिक्रमण करने वाले का अनुमोदन करता है। जे मिक्ल असाहए समायं करेह करतं वा साइज्जद । ___जो भिक्षु अस्वाध्यायकाल में स्वाध्याय करता है, स्वाध्याय करने को कहता है, ब स्वाध्याय करने बाने का अनुमोदन करता है। जे भिल्लू अप्पणो असन्माइए समायं करे करतं वा जो भिक्षु अपने अस्वाध्याय काल में स्वाध्याय करता है, साइबई। स्वाध्याय करने को कहता है, व स्वाध्याय करने वाले का अनु मोदन करता है। सं सेवमाणे आवाज चाउम्मासियं परिहारदागं वायं। उक्त आसेवना करने वाला भिक्षु उद्घातिक चातुर्मासिक -नि.उ.१६. मु.८-१८(४८) प्रायश्चित का पात्र होता है। ** १ (क) पडिक्कमामि चाउकालं सज्झायस्स अकरणयाए-आव. अ. ४, सु. १६ (ख) काले न कमो सज्झाओ-आव. अ. ४, सु.२६
SR No.090119
Book TitleCharananuyoga Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size23 MB
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