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अकालं स्वाध्याय करने और काल में स्वाध्याय नहीं करने का प्रायश्चित्त
मानाचार
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जे भियन नासु महापाडियएसु ससाय करेइ करतं वा जो भिक्षु वैशाखी प्रतिपदा, आषाढ़ी प्रतिपदा, आश्विन साइज्जइ। तं जहा–१. सुगिम्ह-पाडियए, २. आसानी- प्रतिपदा और कातिक प्रतिपदा इन चार महा प्रतिपदाओं में पाशिवए, ३. आलोप-पाजियए, ४. फत्तिय-पाडिवए। स्वाध्याय करता है, स्वाध्याय करने के लिए कहता है, व
काय करने
मौका पारे। जे भिक्ख चाउकाल-पोरिसि सम्माय म करे न करतं वा जो भिक्षु चतुष्काल पौरुपी में स्वाध्याय नहीं करता है, साइजह ।
स्वाध्याय नहीं करने को कहता है, व स्वाध्याय नहीं करने वाले
वा अनुमोदन करता है। जे भिक्खू बाउकाल-पोरिसि समार्य उबाइणावेह जवाहणा- जो भिक्षु चतुष्काल पौरुषी का स्वाध्यायकाल बीतने पर वतं वा साइज्जह।
स्वाध्याय करता है, स्वाध्याय करने के लिए कहता है, व
स्वाध्याय करने वाले का अनुमोदन करता है। बे मिक्सू चाउरकालं समायं न करेड न करतं वा जो भिक्षु चार काल में स्वाध्याय नहीं करता है, स्वाध्याय साहज्जा।
नहीं करने के लिए कहता है, व स्वाध्याय नहीं करने वाले का
अनुमोदन करता है। जे भिक्खू चाउकासं समाय उवादमावेइ उवाहणावंत वा ___ जो भिक्षु चार काल स्याध्याय का अतिकमण करता है, साइज
अतिक्रमण करने के लिए कहता है, व अतिक्रमण करने वाले का
अनुमोदन करता है। जे मिक्ल असाहए समायं करेह करतं वा साइज्जद । ___जो भिक्षु अस्वाध्यायकाल में स्वाध्याय करता है, स्वाध्याय
करने को कहता है, ब स्वाध्याय करने बाने का अनुमोदन
करता है। जे भिल्लू अप्पणो असन्माइए समायं करे करतं वा जो भिक्षु अपने अस्वाध्याय काल में स्वाध्याय करता है, साइबई।
स्वाध्याय करने को कहता है, व स्वाध्याय करने वाले का अनु
मोदन करता है। सं सेवमाणे आवाज चाउम्मासियं परिहारदागं वायं। उक्त आसेवना करने वाला भिक्षु उद्घातिक चातुर्मासिक
-नि.उ.१६. मु.८-१८(४८) प्रायश्चित का पात्र होता है।
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१ (क) पडिक्कमामि चाउकालं सज्झायस्स अकरणयाए-आव. अ. ४, सु. १६
(ख) काले न कमो सज्झाओ-आव. अ. ४, सु.२६