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आहारक और आहारकमिश्र ये दो नहीं होते हैं । दूसरे सासादन गुणस्थानमें ५० आस्रव होते हैं-पांच मिथ्यात्व, एक आहारक और एक आहारकमिश्रयोग ये सात नहीं होते हैं । तीसरे मिश्र गुणस्थानमें ४३ आस्रव होते हैं-१४ आस्रव नहीं होते हैं:-५ मिथ्यात्व, ४ अनन्तानुबन्धी, २ आहारक और औदारिकमिश्र, वैक्रियकमिश्र, कार्माण ये तीन । चौथे अव्रत गुणस्थानमें ४६ आस्रव होते हैं- ऊपरके ४३ और अंतके ३ मिश्र मिलाकर । पांचवें देशविरति गुणस्थानमें ३७ आस्रव होते हैं । ऊपरके ४६ मेंसे ४ अप्रत्याख्यानकषाय, ४ योग, और एक त्रसवध इस तरह ९ घटा देना चाहिये । छटे प्रमत्तसंयममें २४ आस्रव होते हैं४ संज्वलन कषाय, ९ हास्यादि नोकषाय, ९ योग और २ आहारक । सातवें अप्रमत्तमें २२ होते हैं:-४ संज्वलनकषाय, ९ योग और ९ हास्यादि नोकषाय | आठवें अपूर्वकरणमें ऊपरके ही २२ आस्रव होते हैं। नववें अनिवृत्तिकरणमें १६ आस्रव होते हैं:-९ योग, ४ संज्वलन कषाय और ३ वेद । दशवें सूक्ष्मसाम्परायमें १० आस्रव होते हैं:-९ योग और १ सूक्ष्म लोभ । ग्यारहवें उपशान्नकषायमें इन्हीं ९ योगोंका आस्रव होता है, वारहवें क्षीणमोहमें भी इन्हीं ९ योगोंका आस्रव होता है और तेरहवें सयोगकेवली गुणस्थानमें ३ काययोग, २ वचनयोग, और २ मनोयोग इस तरह सातका आस्रव होता है और अन्तके चौदहवें अयोगकेवली गुणस्थानमें आस्रव सर्वथा नहीं होता है। इस तरह