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छप्पय ।
(२३) एक भाग रहता है, उसमें उत्कृष्ट अवगाहनाके धारण करनेवाले अनन्त सिद्धोंका निवास है।
तीन लोकके ११२ पटलोंका वर्णन । एक तीन पन सात, और नव ग्यार तेर जिय। इकतिस सातसुचारि, दोय इक एक तीनि तिय ॥ तीनि तीनि अरु तीनि एक, इक पटल बताए। इक सौ बारै सरब, बीस थानकके गाए ॥ . सब सात नरक आठौं जुगल, त्रय ग्रीवक द्वय उत्तरे उनचास नरक त्रेसठ सुरग, धन दोनों सम
कितभरे ॥ १६ ॥ अर्थ-सातवें नरकमें १, छठेमें ३, पांचवेमें ५, चौथेमें ७, तीसरेमें ९, दूसरेमें ११ और पहलेमें १३ पैटल हैं । इस तरह सातों नरकोंमें ४९ पटल हैं । स्वोंके पहले जुगलमें अर्थात् सौधर्म ऐशान स्वर्गमें ३१, दूसरे
१ पौने सोलहसौमें १५०० का भाग देनेसे. १२ धनुष होते हैं । यह धनुष प्रमाणांगुलसे है और सिद्धोंकी अवगाहना उत्सेधांगुलसे है । इससे इसमें ५०० का गुणा करनेसे ५२५ धनुष होते हैं । यही सिद्रोंकी उत्कृष्ट अवगाहना है।
२ जिन विमानोंका ऊपरी भाग एक समतलमें पाया जाता है, वे विमान एक पटलके कहलाते हैं । प्रत्येक पटलके मध्यके विमानको इंद्रक, चारों दिशाओंमें जो पंक्तिरूप विमान हैं, उन्हें श्रेणीवच और जो श्रोणियोंके बीचमें फुटकर हैं, उन्हें प्रकीर्णक विमान कहते हैं।