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________________ चर्चासागर [ ६८ ] महीने में बाल और नेत्रोंकी वृष्टि प्रगट होती है। सातवें महीने में शरीरका सब आकार तैयार हो जाता है । आठवें महीने में ज्योंका त्यों बना रहकर बढ़ता है। नौवें वा दसवें महीनेमें उस माताके गर्भाशयसे वायुके द्वारा बाहर निकलता है, इसीको जन्म कहते हैं सो ही लिखा है कल्वलं चैकरात्रेण पंचरात्रेण बुद्बुदाः । पक्षकेणांडकं चैव मासेन शिरांकुरः ॥ उरो मासद्वयं यावत् त्रिभिश्चैव तयोदरम् । शाखाश्चतुर्भिसिश्च नखांगुलिश्च पंचमे ॥ रोमदृष्टी च षष्ठे च सर्वेऽवयवाः सप्तमे । नवमे दशमे वापि वायुनाऽसौ वहिर्भवेत् ॥ इस प्रकार मनुष्यकी उत्पति समझना चाहिये । ७३ - चर्चा तिहत्तरखीं प्रश्न --- ऊपर मनुष्योंकी उत्पत्ति कही है परन्तु मनुष्योंमें तीन भेव होते हैं पुरुष, स्त्री और नपुंसक सो एक ही गर्भमें तीन अवस्थाएं कैसे हो जाती हैं। समाधान --- जिस समय पिताका वीर्य अधिक होता है और माताका रज उस वीर्यसे कम होता है। तथा उस जीवके पुरुषवेद नामकर्मका उदय होता है उस समय पुरुष उत्पन्न होता है। तथा जिस समय माताका रज अधिक हो पिताका वीर्य उस रजसे कम हो और उस जीवके स्त्रीवेद नामकर्मका उदय हो उस समय स्त्री या कन्या उत्पन्न होती है। तथा माता पिताका रजो वीर्य समान हो और उस जीवके नपुंसक नामकर्मका उदय हो तो नपुंसक उत्पन्न होता है । सो ही लिखा है । शुक्रस्याधिकतो बालः कन्या शोणितगौरवात् । शुक्रशोणितयोः साम्ये षंडत्वं तस्य जायते ॥ पितुः शुक्रान्च मातुश्च शोणिताद्गर्भसम्भवः । स्वकर्मपरिणामेन जीवोत्पत्तिरिष्यते ॥ इस प्रकार पुरुष स्त्री और नपुंसकको उत्पत्ति होती है। यहाँ कोई प्रश्न करे कि एक स्त्रीके वो बालक किस प्रकार होते हैं ? तो इसका उत्तर यह है कि यदि [६
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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