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________________ तस्यैवाशनकालस्य मध्ये प्रोस्कृष्टतो जिनः । भिक्षाकाले मतो योग्यो मुहतकप्रमाणकः ॥ ३७॥ सागर योगिनां द्विमुहूर्तप्रमाणो मध्यमो वचः । जघन्यस्त्रिमुहूर्तप्रमो भिक्षाकालः उदाहृतः॥ ६९-चर्चा उनहत्तरवों प्रश्न---पुलाक आदि मुनिराजके पांच भेद हैं उनके कौन-कौनसा गुणस्थान है ? समाधान-पुलाक और वकुश इन वो मुनियोंके छठा और सातवाँ गुणस्थान होता है। कुशील नामके मुनिके आठवें अपूर्वकरण नामके गुणस्थानसे लेकर उपशांतमोह नामके गुणस्थानतक चार गुणस्थान होते हैं। निम्रन्थ नामके मुनिके बारमयां कोणमोह नाम गुगल्या होता है त्या स्नातकके तेरहवां सयोगिकेवलो और चौरहवां अयोगिफेवली गुणस्थान होता है। इस प्रकार पुलाक वकुश कुशील निम्रन्थ और स्नातक इन पाँचों प्रकारके मुनियोंके गुणस्थान छठेसे लेकर बौवहीं सक हैं। इन सब मुनियोंको संख्या बाई द्वीपभरमें । अषिकसे अधिक तीन कम नौ करोड़ अर्थात् ८९९९९९९७ रहती है। उन सबको हमारा नमस्कार हो । सो हो आचार्य सकलकोतिविरचित सिद्धांतसारमें लिखा है। षष्ठसप्तमयोयॊस्ते गुणस्थानद्वयोमुनी । विज्ञेयो शास्त्ररीत्या च पुलाकवकुशाविह ॥ अपूर्वायुपशान्तेषु गुणस्थानेषु ये स्थिताः। प्रोक्तास्ते मुनिभिनित्यं कुशीलालयधारिणः ॥ क्षीणमोहगणस्थाने यस्तिष्ठेन्मुनिसत्तमः । ज्ञातोयभवभिः सर्वे निर्मथो हि प्रशांतधीः ॥ योगायोगगुणस्थाने वसन्ति यतयः खलु । ये मताः स्नातकास्ते च लोकालोकप्रकाशकाः ॥ सर्वेषां यतिनां संख्यास्त्रिऊना नवकोटयः। कथिताःश्रीजिनैः सर्वैस्तेषां नित्यं नमोस्तु ते ॥ ७०-चर्चा सत्तरवीं प्रश्न--एक दिन रातमें तथा एक महीने में या एक वर्षमें पुरुषके कितने श्वासोच्छ्वास आते जाते हैं ? १. इसमें सुबह शाम छोड़नेका जघन्य मध्यम उत्कृष्ट काल एक दो तीन मुहूर्त लिखा है। FaisansarचारDAIRautam नाममायामायण
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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