SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 470
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सागर ४४८ ] २१२ - चर्चा दोसौ बारहवीं प्रश्न- शास्त्रोंमें पुरुषोंका उत्कृष्ट आहार बत्तीस ग्रास तक बतलाया है। इसी प्रकार स्त्रियोंके आहारका प्रमाण क्या है ? समाधान — स्त्रियोंका उत्कृष्ट आहार अट्ठाईस ग्रासका बतलाया है। सो ही आचार्य शिवकोटिविरचित भगवती आराधना में लिखा है । बत्तीसं किर कवलाहारो कुक्खिपूरणो होई । पुरुलस्त महिलाए अट्ठावीसं हवे कवला ॥ यही कारण है कि मुनि और आजका इसी बत्तीस और अट्ठाईस ग्रासके प्रमाणसे आहार लेते हैं यह उत्कृष्टता से है इसीलिए मुनि आर्जिका इससे कम ग्रास ले लेते हैं इससे अधिक नहीं लेते । प्रश्न - एक ग्रामका प्रमाण क्या है ? समाधान -- एक हजार चावलोंका उत्कृष्ट एक ग्रास होता है। सो हो षद्धर्मोपदेशमें लिखा हैद्वात्रिंशत्कवलैः पुंसामाहारः कथितो जिनैः । अष्टाविंशति संख्यैश्च स्त्रीणां लेपः प्ररूपितः ॥ १५ ॥ सहस्रतंदुलैः प्रोको ह्येकः कवल उत्तमः । इस प्रकार अट्ठारहवें परिच्छेद में लिखा है । २१३ चर्चा दोसौ तेरहवीं प्रश्न - कोई कोई कहते हैं कि विदेहक्षेत्र में तीर्थंकरोंके पंचकल्याणकोंका नियम नहीं है । ज्ञानकल्याor और निर्वाणकल्याणक ये वो ही कल्याणक सामान्य केवलीके समान होते हैं। पाँचों कल्याणकोंका नियम नहीं है तो भी वे तीर्थंकर कहलाते हैं । समाधान - तीर्थंकर प्रकृतिके बंधके लिए दर्शनविशुद्धि आदि सोलह कारण भावनाएं हैं। सो जिसने पहले भवमें सोलह कारण भावनाओंका चितवन नहीं किया है। उसके पाँचों कल्याणक नहीं होते। उनके केवल दो कल्याणक होते हैं। उनके समवसरण भी नहीं होता । सामान्य केवलोके समान गंधकुटी होती है। जन्मके समय मति, श्रुत, अवधि ये तीनों ज्ञान नहीं होते। जन्मके वश अतिशय नहीं होते। फिर तीर्थंकरोंके य [w
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy