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________________ SIRape- २०६-चर्चा दोसौ छहवीं प्रश्न-स्वयंभूरमण तोप और समुद्रके पशु पक्षियोंकी आयु उत्कृष्ट है परन्तु यहाँके पशु पक्षियोंको । पासागर । फितनी है ? ४०१1 समाधान-ज्योला, चहे, घस, बाघ, चोते, कबूतर, कुत्ते और सूअर आदि पशुओंको आयु भगवान अरहंत देवने बारह वर्षको बतलाई है तथा इसी प्रकार अन्य पशुओंकी भी यथायोग्य होन बा अधिक समस लेनी चाहिये । हो हो त्रिलोकानप्तिा लिया है। नकुलानां मूषकानां घुषकानां तथैव च । व्याघ्रचित्रकपोतानां मंडलानां जिनोदितम् ॥ शुकराणां तथैवात्र संवत्सराणां द्विषट् मतम् । २०७-चर्चा दोसौ सातवीं प्रश्न-मुसलमान आदि कितने ही यवन, कितने ही शूद्र, कितने ही क्षत्रिय तथा अधोगतिक पात्र । कुमतिज्ञान, कुश्रुतज्ञानको धारण करनेवाले अपने वचनोंकी चतुरतासे अपनेको बड़े बुद्धिमान माननेवाले ऐसे कितने ही ब्राह्मणादिक अपनी इन्द्रियोंको पृष्ट करनेके लिये महा अधर्म रुप वचन कहते हैं। वे कहते हैं कि । जीवोंका आहार हो जीव है । जीवोंके आहारके बिना यह जीव जोषित नहीं रह सकता। इस संसा पल नहीं सकती। चावल, जौ, गेहूँ, उड़द, मूंग, मसूर, चना, ज्वार आदि अनेक धान्य हैं तथा पाक, पत्र, फल, पुष्प, जल आदि अनेक भक्ष्य वा खाने योग्य पदार्थ हैं परंतु इन सबमें जोच है, बिना जीवके इनमें कोई नहीं है। तया धान्योंको धा शाक, फल आदिको सब भक्षण करते हैं उसी प्रकार हम पशु, पक्षी आदि जीवोंके मांसका। । भक्षण करते हैं । क्या अन्न आदिम जोव नहीं है। क्योंकि बिना जोवके पृथ्वीपर बोनेसे कैसे उत्पन्न हो जाते है और उनपर फल, पुष्प आदि कैसे लग जाते हैं इससे सिद्ध होता है कि जीव सबमें हैं। हाँ, अंतर केवल इतना है कि मांसादिकके खानेसे एक जोवके मांससे अनेक जीवोंका पेट भर जाता है इसलिये मांस खानेवाले को एक जीवको हिंसाका थोड़ासा भाग लगता है। परंतु अन्न खानेवाले सेर, आधासेर अन्न खाते हैं । उसमें जितने दाने हैं उतने ही जीव है इसलिये उनको अनेक जीवोंकी हिंसाका पाप लगता है । इस प्रकार अन्नादिक ५२ Hariwestrarapew o [४०९ rmatireares
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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