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________________ सागर ३७० ] प्रैवेयक और पांच पंचोसरका विमानोंका नाम तथा वहाँको आयु, काय आविका स्वरूप तो मालूम है । परन्तु नव अनुदशके नाम प्रगट सुननेमें नहीं आये। सो कौन-कौन हैं ? समाधान-अ, अचिमालिनो, बैर, वैरोचन में चार विमान तो पूर्व, दक्षिण, पविचम, उत्तर इन चार दिशाओंमें श्रेणीबद्ध विमान हैं तथा सोम, सोमरूप, अंक, फलिक ये चार विमान आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य और ईशान इन चारों विदिशाओं में प्रकीर्णक विमान हैं और आदित्य नामका विमान सबके मध्य में इन्द्रक विमान है । इस प्रकार नौ अनुविशके नौ विमान हैं। सो ही त्रिलोकसारमें लिखा हैअच्चीय अचिमालिणि वइरे वइरोयण अणुद्दिसगा । सोमो य सोमरूवे अंके फलिके य आइये ॥ इनकी आयु, काय आदिका वर्णन त्रिलोकसारमें जान लेना चाहिए । १६४ - चर्चा एकसौ चौरानवेवीं प्रश्न -- जिन देवोंकी आयु जितने सागरोंकी है उनका मानसिक आहार उतने ही हजार वर्ष बाद होता है । तथा उनका श्वासोच्छ्वास उतने ही पक्ष बाद होता है। यह कथन प्रसिद्ध है परन्तु जिन देवोंकी आयु पल्यों की है उनके आहार और श्वासोच्छ्वासका क्या नियम है। समाधान — भवनवासियोंमें उत्कृष्ट आयु असुरकुमार देवों की है। सो उनके मानसिक आहार एक हजार वर्ष से अधिक समय बाब होता है तथा सूर्य, चन्द्रमा आदि ज्योतिषी देवोंके सागरोपके अंशोंके हिसाब से अलग-अलग है । और बाकोके जो नौ प्रकारके भवनवासी समस्त देवांगनाओंके मानसिक आहारका समग्र इसी क्रमसे समझना चाहिये। सो ही लिखा है असुरेतित्तिसु सासाहारा पक्खं समासहस्संतु । सुमुहत्त दिणाणद्धं तेरस वारस दल ॥ भावार्थ - असुरकुमारनिके एक पक्ष भये एक बार उच्छ्वास होता है, हजार वर्षे गये एक बार आहार होता है । बहुरि नागकुमार आदि सीन जातिविषै साढ़ा बारा मुहूर्त भये उच्छ्वास हो है साढ़ा बारा दिन गये आहार हो है । बहुरि दिक्कुमार आदि सोन जातिविषै साढ़ा सात मुहूर्त भये उच्छ्वास होव साठा सात दिन गये आहार हो है । [
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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