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चर्चासागर
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। सोये हों तो उसका प्रायश्चित्त एक उपवास है। यदि कोई उमाद रहित मुनि जीवजंतुओं रहित स्थानमें । । सांथरेको न शोधकर सो गये हों तो उसका प्रायश्चित्त एक उपवास है । यदि कोई उमाद सहित मुनि जीव । जंतुओं सहित स्थानमें सांथरेको न शोधकर सोये हों तो उसका प्रायश्चित्त कल्याण है।
यदि किसी मुनिसे कमंडलु आवि उपकरण नष्ट हो गये हों, फूट टूट गये हों तो जितने अंगुल फूटे हों उतने उपवास करना चाहिये अथवा किसी आचार्यके मतने जितने घनांगुल फूटा हो उतने उपवास करना चाहिये । सो ही लिखा हैगामादिआरभाणं अजाणमाणो करेदि उवदेसं । जाणतोदं मत्तं पणमासिय मूल गारविए।।
आलोयण तणुसग्गो अजाणमाणो स पूज उबदेसे । एय वहुवार भुज्झति उवसेसो पयण पडिकमणं ॥ जाणतं स बिसोही पूजा करणेहि एग वहवारं । पणगं मासिय बहुसो बधकरणे मूल पडिकमणं ॥ इतिरिय जवकाले सभा हि भूदोवि एहि भुजप्पे ।
अण्णादे उववासो मासिय पडिकमण जणणादे ।। वदर्दसणदो भट्टे सज्जो गिज्जो मुहादिसं अरुहादि।अवण्णेणध पावदि उपवासं पडिकमण।।
सुत्तत्थ चोरियाए गिण्हतो विणय पुच्छ रहिदो वा । आलोचण तनु संगो पावहि दिहवकोरोय सुदगुरणे ॥ विज्जा मंतो वेज्जं अटुं गणिमत्त मूलगुणं । चूणाणि जो कुणइ सो पावइ उपवास पडिकमणं ।। सत्तारम सोहंतो पयदा पहदे सुखवण पणगंतु । काउसम्गुववासो सुद्धा सुखंहि जाणावे ॥