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________________ सागर ०६ ] केम्पमानासना बहो जिनशासनदेवताः । आजग्मुः शीलरक्षायै बह्रो व्यन्तरामराः ॥७०॥ मणिभद्रमरः शीघ्र ं चक्रेब्धिमतिचंचलम् । वातैः प्रलयकालाभैः वणिक्पोता दिनाशनम् ॥ ७१ ॥ चक्रेश्वरी च पोतान्यभ्रमयच्चक्रवत्तदा । व्यधावृष्टिहरं धूपं महान्तं रोहिणी क्षणात् ॥७२॥ अग्नि प्रज्वालयामासाहो ज्वालामालिनी क्रुधा । पद्मावती चपेटायैः तन्मुखे मारयद्भृशम् ॥ श्वारूढक्षेत्रपालोघारपापिनं तन्मुखे दहन् । तच्छीलसिद्धये ज्वलता ता तेन तत्क्षणम् ॥ आरूढो गरुडं व्यन्तरेन्द्रो दशमुखाहयः । बंधनैः पृष्ठपाणि बोद्ध ह्रीमधो मुखः ॥ ( ? ) विन्ध्याचल पर्वतपरके चैत्यालय में रहनेवाले यक्षने भीमको गया नामका शस्त्र दिया था सो पाण्डवपुराणमें लिखा ही है । I की श्रीभद्रबाहु स्वामीने नवग्रह स्तोत्रमें लिखा है कि ग्रहोंकी शांतिके लिए भगवानको पूजाके साथ नवग्रहों पूजन भो करनी चाहिये । यथाजगद्गुरुं नमस्कृत्य श्रुत्वा सद्गुरुभाषितम् । ग्रहशांतिं प्रवक्ष्यामि लोकानां सुखहेतवे ॥ जैनेन्द्रखेचरा ज्ञेया पूजनीया विधिक्रमात् । पुष्पैर्विलेपनैधूपं नैवेद्यः फलसंयुतेः ॥ जन्मलग्ने च राशौ च यदि पीडितखेचराः । तदस्य पूजाया धीमान् खेचरैः सहिता जिन ॥ आदित्य सोम मंगल बुधशुक्रशनीश्चराः | राहुप्रमुखः जिनपतिपुरतोयं तिष्ठति ॥ इति भणित्वा पंचवर्णासु पुष्पांजलिं क्षिपेत् । जिनानां गृहे स्थित्वा ग्रहाणां तुष्टिहेतवे ॥ नमस्कारं ततो भक्त्या जपेदृष्टोत्तरं सुधीः । श्रीरुद्रबाहुभवाचेदं पञ्चमः श्रुतकेवली ॥ १. इनका अभिप्राय यह है । उस समय शासन देवताओंका आसन कम्पायमान हो गया और शोलको रक्षा करनेके लिये वे सब देवता आ गये । मणिभद्रने प्रलयकालके समान हवा चला कर समुद्र चंचल कर दिया जिससे जहाज नष्ट होता दिखाई दिया। चक्रेश्वरी जहाजको धक्रके समान फिरा दिया। रोहिणोने ऐसा धुआं फैलाया जिससे कुछ न दिखाई दे । ज्वालामालिनीने अग्नि जला दी । पद्मावतीने उस सेठ के मुँहपर मार लगाई। क्षेत्रपालने उसका मुँह जलाया । दशमुख नामके व्यन्तरेन्द्रने उसको बाँध लिया । २. इन सबका भावार्थ यही है कि यदि ग्रह दुष्ट हों, पोड़ा देते हों तो भगवान की पूजा करनेके बाद इन ग्रहों को पूजा करनी चाहिये । [ ३०६
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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