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चर्चासागर
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इसपर कदाचित् कोई यह कहे कि हम भी तो सब कार्य श्रेष्ठ ही करते हैं। जल थोड़ा हो खर्च । करते हैं, पुष्पारिक चढ़ाते ही नहीं, बीपक जलास नहीं, राश्रिपूजा करते नहीं, अभिषेक करते नहीं जो-जो । अच्छी बातें हैं वे सब करते हैं । जो कुछ नवीन भी करते हैं सो भी अच्छा ही करते हैं । परंपरासे चली आई रोतिमें जो-जो दोष दिखाई देते हैं उनको नहीं करते। नवीन-नवीन रीतियाँ भी अच्छी-अच्छो ही करते हैं। इसमें तो गुण हो है बिगाड़ नहीं है। ऐसा करनेसे पाप छूट जाता है और धर्ममार्गकी प्रवृत्ति होती है । तो इसका उत्तर वा समाधान यह है कि तुम लोग अच्छी-अच्छो रीतियां करते हो तो पहलेके आचार्योंने कौनकौनसो बुरी रीतियां चलाई थी ? अथवा ऐमो कौनसी रोति है जो कालदोषके कारण मलिम वा सदोष बन गई है। पूजाविकके द्रव्य तो सब शुद्ध हैं । जैसे किसी सच्ची टकसालमें बने हुये सोने अथवा चांदीके रुपये, मोहरे आदि किसी साहूकारने शत्रु, चोर वा राजाके भयसे पृथ्वोके नीचे गाड़ दिये अथवा और किसी उपायसे छिपा दिये । जिससे वे सब रुपये, मोहरें मैली, घिसी वा फूटीसी हो गई परन्तु खटाई, मसाला आदिसे फिर भी उजालने पर वे सुन्दर हो सकती हैं तथा जो परीक्षा करना जानते हैं वे उनको मैलो जानकर भो छोड़ते नहीं। घड़ेमें भरे हुये धोके समान सवा साररूप ही रहते हैं। यदि कोई ठग कांसे, पीतल आविके खोटे रुपये, मोहरें । बना ले और उन सबको यन्त्रसे उजालकर सुन्दर बना ले तो भी ये सुन्दर और कीमती नहीं हो अथातों । यदि थे। । मैली हों तो उनके बदले कोई कौड़ो भी नहीं देता। यदि कोई ठग उन नकली रुपये, मुहरोंको बेचने जाय और
उनको देखकर कोई संदेह करने लग जाय तो उन सच्चे रुपये, मोहरोंमें तो मैले होनेका दोष लगा देता। है और अपने नकलो रुपये, मोहरोंमें ऊपरको चमक दमक विखाकर ठगकर बेच जाता है। इसी प्रकार इस समयके शास्त्रों में कदाचित् कालदोषसे कुछ थोडासा दोष भी हो तो भी उनसे अकल्याण नहीं हो सकसा तथा नवीन मार्ग चलानेवालोंके शास्त्रोंमें सच्चे श्रद्धानका और पूर्वाचार्योके वचनोंका सर्वांग विरोध आता है तथापि ऐसे शास्त्र केवल ऊपरको चमक बमकसे चल जाते हैं। नवीन मतोंमें ऊपरसे लोफरंजनको झलक दिखाई पड़ती है और उसको उस मलकको देखकर ही लोग उसको मान लेते हैं और उसकी प्रवृत्तिके अनुसार चलने लग जाते हैं। अनेक भेष बनाकर उसको वृद्धि करते हैं तथा नधोनता, प्राचीनतासे कुछ अच्छोसी मालूम पड़ती। है इसलिये भी लोग उसमें लग जाते हैं। इसके सिवाय और कोई कारण नहीं है।
संसारमें बहतसे लोग ऐसे भी वेखे जाते है जिनको सच्चा भवान तो है नहीं तो भी जो कुछ धर्म
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