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फिर उसके बाद वलय देकर आठ दलका कमल लिखना चाहिये फिर उसके बाद वलय देकर सोलह ।
दलका कमल लिखना चाहिये फिर उसके बाव बलय वेकर चौबीस दलका कमल लिखना चाहिये । फिर उसके पर्चासागर
बाद वलय वेकर बीजयुक्त मितिमंडल लिखना चाहिये। [२३]
इस प्रकार जो आठ, सोलह और चौबीस दल बने हैं उनमें नमः शब्द के साथ अड़तालीस ऋद्धियोंको लिखना चाहिये । यथा पहले बलमें ॐ ह्रीं है णमो जिणाणं । वूसरे दलमें ॐ ह्रीं हैं णमो ओहि जिणाणं । तीसरेमें ॐ ह्रीं है णमो परमोहिजिणाणं । चौथेमें 'ॐ ह्रीं हं णमो सम्बोहिजिणाणं । पाँचवेमें ॐ ह्रीं है अणंतोहि जिणाण । छठेमें ॐ ह्रीं हैं णमो कोहबुद्धोणं । सातदेमें ॐ ह्रीं हैं णमो बीजबुद्धीणं । आठवेंमें ॐ ह्रीं । हं पादानुसारीणं लिखना चाहिये। यह सब पूर्व दिशासे प्रारम्भ कर बाई ओरको लिखते जाना चाहिए। । तदनन्तर वलयके बाहर सोलह दलों से पूर्वको ओरके पहले वल में तथा अनुक्रमसे नौवें दलमें ॐ ह्रीं हूँ णमो । संभिण्ण सोवराणं । वामें ॐ ह्रीं ह णमो पत्तेयबुद्धीणं । ग्यारहवेंमें ॐ ह्रीं हैं णमो सयं बुद्धोणं । बारहवेमें ॐ ह्रीं है णमो वोहियबुद्धीणं । तेरहवेंमें ॐ ह्रीं है णमो उज्जुमवीणं । चौवहमें ॐ हीं है णमो बिडलमवीणं ।। पन्द्रहमें ॐ ह्रौं हे णमो बस पुनीण । सोलहवेंमें ॐ ह्रौं हैं णमो चौबस पुग्वीणं । सत्रहमें ॐ ह्रीं है। णमो अद्रंग महानिमित्तकसलाणं। अठारहवें ॐ हीं हैं णमो विउब्बण इट्रिपत्ताण । उनईसमें ॐ हों । नमो विज्जाइराणं । बोसमें ॐ णमोचारणाणं । ईकाईसमें ॐ ह्रीं नमोपणसमण्णाणं बाइसमें ॐ ह्रीं हं णमो आयास गामिणं । तेईसमें ॐ ह्रौं हं णमो विठिविसाणं । चौबीसमें ॐ ह्रीं हं णमो आसोविसाणं लिखना चाहिये । इस प्रकार सोलह दलका कमल पूरा कर लेना चाहिये । तदनंतर वलयके बाहर चौबीस दलके कमल से पहले दलमें तथा अनक्रमसे पच्चीस दलमें ॐहों णमो उम्गतवाणं । छब्बीसवेंमें ॐ क्लीं हैं णमो दीत्ततवाणं, सत्ताईसमें ॐ ह्रीं है णमो तत्ततवाणं । अट्ठाईसमें ॐ ह्रीं हूँ णमो महातवाणं ।।
उनत्तीसवेंमें ॐ ह्रीं हैं णमो घोरतवाणं। तीसमें ॐ ह्रीं है णमो घोरगुणाणं । इकत्तोसर्वेम ही है णमो। वि घोरपराक्कमाणं । बत्तीसमें ॐ ह्रीं है णमो घोरपूर्ण वंभचारीणं । तेतीसमें ॐ ह्रीं हं णमो आमोसहिपत्ताग।
चौतीसमें ॐ ह्रीं हणमो खेल्लोसहिपत्ताणं। पेंतीसमें ह्रीं हैं णमो जल्लोसहिपत्ताणं। छत्तीसमें ॐ हीं है विष्पोसहिपत्ताणं । सेतीसमें ॐ ह्रीं हं णमो सम्बोसहिपत्ताणं । अड़तीसमें हों णमो मणवलोणं ।।