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परी पृष्ठ संख्यापी संख्या
पृष्ठ संस्था । अग्निमंडल यंत्र
१७४ | १९२ मंगलाघ्य किसको कहते हैं जलमंडल यंत्र २०]
१९ नंद्यावर्तक स्वस्तिक किसको कहते हैं अंग न्यास
१७६ | १५४ आचमनको विधि क्या है दिशाबंधन
१७७ १५५ नीराजन द्रव्यको विधि क्या है। कवच
१५६ सौषधिमें कौन कौन औषधियाँ है आह्वान मुद्रासहित
१७७
१५७ सिद्धचकके यन्त्रका स्वरूप क्या है स्थापना मुद्रासहित
१५८ शान्तिचक्र यन्त्रका स्वरूप क्या है सन्निधिकरण महामहिम
२५९ कलिकुदंश स्वामीका यन्त्र और उनकी विधि।
१७८ १६. ऋषिमंडलका स्वरूप क्या है और उसका आराधन सरस्वती पूजा १७९ किस प्रकार है
२०८ १७९ १५१ चिन्तामणि चाकका क्या स्वरूप है सिद्धार्थन
१७९ १६२ मणधरवलय यन्त्रका स्वरूप तथा आराधन तिलक लगानेकी विधि
किस प्रकार है। किसको किस प्रकार तिलक लगाना चाहिये १८० १६३ षोडसकारण यन्त्रकी विषि तथा पूजाकी विधि क्या है २१५ वस्त्राभरण पारण
११४ दशलामणिक धर्मके यन्त्रकी विधि तथा अर्चनादिकका अभिषेक विधि
१८२
क्या स्वरूप है गुरुमुद्राका स्वरूप
१८३ | शांतिचक्र स्थित देवताओंका पूजन
१६५ रलत्रय यन्त्रको विधि तपा उसको पूजाको विधि क्या है २२२ मूल विद्याका जप
१६६ पूजा यन्त्रोंमें मन्त्रोंमें ओं और ह्रीं सब जगह आते हैं जयमाला
सो इनका स्वरूप क्या है, इनमें कौनसे परमेष्ठो हैं, शांतिपाठ
कौनसे देव हैं, ये मन्त्र मुख्य क्यों हैं
१२४ विसर्जन
ओंकार पर अनुस्वार होना चाहिए अर्द्ध चन्द्राकार जिनालयमें जाकर पूजा करना
कला कैसो बीजाक्षरोंका नाम जिनालयके कर्तव्य
१६७ 'दर्शनं देवदेवस्य दर्शनं पापनाशनम्' इसमें दर्शन १९४
शब्द दो बार लिखा है इसलिए एक बारका दर्शन १५० अष्टांग पंचांग और पश्वर्वशायि नमस्कारका स्वरूप क्या है
शब्द व्यर्थ है। यदि दर्तन शब्द निकाल दिया
जाय तो अक्षर कम हो जाते हैं इसने मालम होता A १५१ अर्घ्य और पाच किसको कहते हैं
है कि यह किसी साधारण विद्वानका बनाया है
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