SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४३ बा संख्या पृष्ठ संख्या संख्या ११चारों हो गलिवाले जीवोंके वर्तमानकी अपनी आयुमें यदि वेदो तीन चार हाथ ऊँची बना लो जाय और अन्यगतिका म्युबंध किस कालमें होता है और किस फिर खड़े होकर पूजा की जाय तो क्या दोष है। किस आयुका होता है। १४२ पूजाका फल तो भावोंसे लगता है फिर इतना विवाद १३२ दशलाक्षणिक आदि व्रतोंके पूर्ण होनेपर प्रतिष्ठा क्यों करना चाहिये। पूर्वक उद्यापन करनेकी आज्ञा है यदि किसीसे प्रतिष्ठा १४१ पूजा करनेवाला पूजनके लिये वस्त्र किस प्रकार न हो सके तो वह व्रतोंको किस प्रकार करे धारण करता है। १३३ यदि कोई व्रत कुछ दिन करनेके बाद छूट जाय तो १४२ वस्त्रों में ऐसा कौनसा दोष है जिसके कारण उसे छोड़ उसका क्या प्रायश्चित्त है। दुबारा पालन करनेको देना चाहिये। विधि क्या है। । १४३ त्रिकाल पूजाकी विधि क्या है। व्रत भंग करनेसे कौनसा पाप लगता है। १४४ पायंकालको जो दीप चूपसे पूजा की जाती है उसकी १३४ भगवानकी पूजा निक्षेप विधियोंसे किस प्रकार की विधि क्या है। जाती है। १४६ | १४५ भगवान की पूजामें कैसे पुष्प चढ़ाने चाहिये और तसे । १३५ इस पंचम कालमें अतदाकार स्थापना करनी चाहिये नहीं। या नहीं। पुष्प किस प्रकार बढ़ाने चाहिये। १३६ भगवानकी पूजाके समय स्नानादि किस विधि से करने १४६ प्रात:कालकी पूजामें जल चंदनसे हो पूजाका विधान चाहिये। बतलाया परन्तु पूजा अष्ट द्रव्यसे करनी चाहिये। १३७ दक्षिण, पश्चिम वा विदिशाओंको ओर मुंह करके जब विधान जल चंदनसे है फिर अष्ट द्रव्यसे कोन भगवामकी पूजा क्यों नहीं करनी चाहिये। १५३ करेगा। ११८ भगवानको पूजा बैठकर करनी चाहिये या खड़े होकर । १५५ | १७ भगवानका ध्यान और वंदना किस विषिसे करनी खड़े होकर पूजा करनेमें क्या दोष है। १५७ चाहिये। १९ बैठकर पूजा करने में पूजा करने वालेको दृष्टि भगवान- १४८ स्त्रियों के लिये ध्यान वंदना करने की विधि क्या है। के ऊपर नहीं रह सकती क्योंकि भगवान ऊँचे १४९ गृहस्थों को जो पहले पूजा करनेको विधि बतलाई है विराजमान रहते हैं और बैठकर पूजा करने वाला वह संक्षिप्त विधि है इसकी विशेष विधि क्या है। नीचा रहेगा। इसलिये बैठकर पूजा करना ठोक ईयर्यापथ शुद्धि पाठ दर्शनपाठ १४. यदि प्रतिमाजी सेल हाथको ऊंचाई पर न हो नोची पांतिचक्र पूजा हों तो क्या करना चाहिये। सकलोकरण विधान मागिन्यारा नहीं।
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy