________________
F अन्तके स्वयंभूरमण समुद्र में तो जलचर जीवोंका सद्भाव है ही परन्तु बाकीके समुद्रोंमें जलचर जीवोंका निवास !
है वा नहीं ? पर्चासागर
__समाधान-ऊपर लिखे हुए तीन समुद्रोंके सिवाय बाकी जो पुष्कर आदि असंख्यात समुद्र हैं उनमें [...] अपकायिक जीव तो हैं परन्तु मगरमच्छ आदि जलचर प्रस जीवोंका सदभाव उनमें सर्वथा नहीं है। उनमें जलचर जीवोंका सर्वथा अभाव है सो ही स्थामिकातिकेयाऽनुप्रेक्षामें लिखा है
लवणोए कालोए अंतिम जलहिम्मि जलयरा संति ।
सेस समुद्देसु पुणो ण जलयरा संति णियमेण ॥ १४४॥ यही बात मलाचारके बारहवें अधिकारमें लिखो है--
लवणे कालसमुद्दे सयंभूरमणे य होंति मच्छा दु ।
अवसेसेसु समुद्देसु णस्थि मच्छाय मयरा वा ॥४०॥ इसी प्रकार त्रिलोकसार आदि अन्य प्रन्यमें भी यह कथन इसी प्रकार लिखा है।
६२-चर्चा वानवेवीं प्रश्न--यह जीव संसारमें एक अन्तर्मुहूर्तमें भवके उत्कृष्ट जन्म मरण कितने करता है ?
समाधान-~-यह संसारी आत्मा कमसे कम एक श्वासके अठारहवें भाग आयु पाता है तथा अपर्याप्त A नाम फर्मके उदयसे एकेन्द्रियादि सत्रह स्थानोंमें एक अन्तर्मुहूर्त समयमें छयासठ हजार तीन सौ छत्तीस ६६३३६ बार जन्म मरण करता है सो ही स्वामिकातिकेयानुप्रेक्षामें लिखा है--
उस्सासद्वारसमे भागे जो मरदि ण य समाणेदि।
एका वि य पज्जत्ती लद्धि अपुण्णो हवे सो दु ॥ १३७॥ सो ही गोम्मटसारमें लिखा है
तिण्णिसया छत्तीसा छवद्विसहस्सगाणि मरणाणि । अंतोमुठ्ठत्तकाले तावदिया चेव खुदभवा ॥ १२३ ॥