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________________ वर्चासागर । ९६ ] र किया जाता है इसलिए १८० को १० से गुणा करनेसे १८०० भेव होते हैं। तथा इन सबका त्याग उत्तम क्षमा आदि श धोके साथ-साय धारण किया जाता है । इसलिए १८०० को १० से गुणा करनेसे १८०००। भेद हो जाते हैं। इनके सिवाय और प्रकारसे भी १८००० भेव होते हैं। अधेतन स्त्रियाँ तीन प्रकार हैं काठको बनी, पत्थरको बनी और रंगको बनी। इनका त्याग मन, वचनसे किया जाता है तथा कृतकारित अनुमोदनासे किया। जाता है। सो तीनको मन, वचनसे गणा करनेसे ६ तया कृत, कारित, अनमोक्नासे गणा करनेसे १८ भेद होते हैं। इनका त्याग पांचों इंद्रियोंसे किया जाता है सो ५ से गणा करनेसे ९० भेद हो जाते हैं। का त्याग दोनों बव्य-भावेंद्वियसे किया जाता है सो २ से गुणा करनेसे १८० भेव होते हैं। इन १८० का त्याग चारों कषायोंसे किया जाता है इसलिये ४ से गुणा करनेसे ७२० भेव हो जाते हैं । ये अचेतन स्त्रियोंके त्यागके भेद हुए। तथा चेतन स्त्रियाँ ३ प्रकार हैं मनुष्यणी, देवो, सियंचनी। इनका त्याग मन, वमन, कायसे तथा कुत, कारित, अनुमोदनासे इन ९ से किया जाता है इसलिये ९ से गुणा करनेसे २७ भेद होते हैं । इनको पाँच द्रव्ये. द्विय और पांच भावियसे त्याग किया जाता है इसलिये १० से गुणा करनेसे २७० भेद होते हैं । इनका त्याग चार संशाओंसे किया जाता है सो ४ से गुणा करनेसे १०८० भेद होते हैं । इनका त्याग १६ कषायोंसे किया जाता है इसलिये १६ से गुणा करनेसे १७२८० सत्रह हजार दो सौ अस्सी भेद होते हैं। ये चेतन स्त्रियों के त्यागके भेव हैं इनमें अचेतन स्त्रियों के त्यागके ७२० भेव मिलानेसे १८००० भेव हो जाते हैं। ये सब भेद स्वामीकातिकेयानुप्रेक्षाको टोकासे लिखे हैं तथा एक ही कथनको दो बार लिखा है सो खुलासा करनेके लिये लिखा है। ८८-चर्चा अठासीवीं प्रश्न-शोलकी नौ वाडमें भाग पौनेका भी निषेध लिखा है सो भांग पीनेमें क्या दोष है ? समाधान-इस भांग वा विजयाके पीनेसे अथवा किसी अन्य प्रकार सेवन करनेसे मद्य पीने के समान १८ दोष साक्षात् उत्पन्न होते है आगे उन्हीं दोषोंको लिखते हैं। भांग पोनेसे नोंद अधिक आती है ।१३ हंसी 1. अधिक आती है ।२। बचानको प्रवृत्ति अधिक होती है।३। चंचलता बढ़ जाती है। मूर्छा हो जाती है ।५। बहुत
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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