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________________ तिचिनी| मनुष्यणी | देवांगना अचेतन | चार प्रकारको स्त्रियाँ । वर्षासागर वचन योगोंसे त्याग। अनुमोदना कृत, कारित, अनुमोदनासे। प्राप श्रोक ७२ इदिन्योंसे। स्ना० संगीत ७२० विषय ९०० दर्पण | शो १०८०१२६० | १० संस्कार मिलाप सांस उन्मत्त देखना १८०० | प्राणसंदेह | वीर्यपात दुख | दाह | | अचि | मूग || ७२०० | ९००० १०८००१२६०० १४४०० १२०० | १० वेग ३६०० इस प्रकार शीलांग रथको रचनाका यंत्र जानना आगे इसीको स्पष्ट करनेके लिये शोलके १८००० भेव लिखते हैं। किसी स्त्रीका त्याग मन, वचन, कायसे तथा कृत, कारित, अनुमोदनासे किया जाता है । सो इनको परस्पर गुणा करनेसे नौ भेव होते हैं । तथा चारों संज्ञाओंसे त्याग किया जाता है सो चारसे गुणा करनेसे ३६ भेव होते हैं । तथा इन छत्तीसोंका पांचों इंद्रियोंसे त्याग किया जाता है सो इनको पांचसे गुणा करनेसे १८०॥ भेव होते हैं । तथा इन १८० का त्याग पृथ्योकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक, वनस्पति। कायिक, वो इंद्रिय, से इंद्रिय, चो इंद्रिय, मसंशो पंचेंद्रिय, संशी पंचेंद्रिय इन वंश प्रकारके जीवोंके आरम्भसे ।
SR No.090116
Book TitleCharcha Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalal Pandit
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages597
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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