________________
चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं. ६
अनिवृत्तिकरण गुण स्थान
-
-
-
-
१ मंग
को नं ६ देदो
का भंग को नं. १ के मुजिव
का भंग
" मयम
समायिक, छेदापस्थापना
२ का भंग को न.१ के मुपिन
का भंग
१जान ४ भग में से कोई
धान जानना
यम । के भग में में कोई
१सयम जानना
१दर्शन | ३ के भंग में से कोई
दर्शन जानना
१४ दर्शन
की न.देखो
का भंन का नं०१८ के मजिब
का भंग
१५ लेश्या
मुक्न लेश्या जानना भव्यन्व जानना
१५ सम्यक्रव
उपशम बायिक भव !
२ का भग को न०१८ के मुजिब
१ भग का भंग
१मम्यक्त्व के भंग में से कोई १ सम्यक्त्व जानना
१८ संजी
१ संजी
११प्राहारक ३. उपयोग
को न. ६ देखों
७ का भंग को नं०१८ के मुजिय
मग ७का मन
|
१ उपयोग के भंग में से कोई १ उपयोग जानना
, पृथक्त्व वितर्क विचार शुक्ल त्यान को नं.१% देखो
१६ १६.१५-१४-१३-१२-११-१० के भग
को न.१८ के मुजिब जानना
२२ मानव
संज्वलन कषाय ४ बेद ३, मनोयोग ४ बचन योग, मोशरिक का योग १ (१६)
|
सार भग -के भंग जानना को नं. १ इलो
मंग ३-२ के मंगों में से कोई !
भंग जानना को न०१८के देखो
को न० ८ देखो
२६-२८-२७-२६-२५-२४-२३२ मंग
की नं.१% के पुनित्र जानना
मारे भग पपन अपने स्थान के भंग जानना
१ भग 1१) सरद भाग में १६ के भंग में से कोई '१ मंग जानता