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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नम्बर
मनिवृत्तिकरण गुण स्थान
६-७--
i(१) सवेद भाग में
१७का भंग जानना (२) प्रवेद भाग में १६ का भंग जानना को न०१५ दसो
(२) पवेद भाग में १६ के अंगों में से कोई
मंग जानना को नं०१८ देखो
.२. अवगाहना को नं. १८ देखो। बंबपतिया- २२ पहले भाग में-ज्ञानावरणीय ५, दर्शनावरणीय ४, मोहनीय ५ (कषाय, पुरुष वेद १, भन्तराय. सातावेदनीय "
सन्दगोत्र १, यशकीर्ती १, में २२ जानना । : २१. दूसरे भाग में पुरुषवेद घटाकर २१ जानना । २०. तीसरे भाग में-क्रोधकषाय घटाकर २० जानना। १६. चौथे भाग में- मान कवाय घटाकर १६ जानना । १८. पांचचे भय में-माया कषाय घटाकर १८ जानना । १७. छटदे भाग क-लोक कषाय घटाकर १७ जानना ।
इस प्रकार छः भार्गों में कर्म प्रकृतियों का बंध सदता जाता है। का उदय प्रकृतियो-६६. पहले भाग में-को न के ७२ प्रकृतियों में से यहां हास्यादि प्रकृनियों का उदय घटाकर ६६ जामना ।
६५. दूहरे माग में-नपुंसक वेद घटाकर ६५ जानना । ६८. नीसरे भाग में घीवेद घराकर ६४ जानना । १३. चौधे भाग में- पुरुच वेद घटाकर ६६ जानना । ६२. पांचवे भाग में--क्रोध कषाय घटाकर जानता । ६१. एटवे भाग में मानकषाय घटाकर ६१ जानना। ६.. सातदे भाग में-माया कनय घटाकर ६० बानना।