SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौतोस स्थान दर्शन टक : अपूर्वकरण गृग स्थान पान मामाद घाना गाना ब्रोधी को साभा की नाना नम्र में । बडोद सर: ननयम १ मुख स्थान जीय ममाम यापमा बराबरमा कोन' चा RESET Fair ... त्या गमला :: नग की न... क अनकारना : भंग Eाग . पाशि को न.१ दमा प्राग की न.१ देखा नजा ना, मं बन परिवर येता जाननः •ा भंग का नं. के अब जानना • नभन ३ का भंग का नं.१% नजि जानना का मन मनुष्य पनि जानना पंचेन्द्रिय नाति जानना १त्रमकाय जानना • इनिय जानि . काय ह गोग को नं. ५. दचा यांग का मंग क१ र्गब ET नंग गंग जाननः नपुंसक स्त्री पुरुष बंद का नग को न०१८ के जिब : भंग का गंग को दे मुजिन ह.भग ने का १ वेद जानना मग ४-५- के भंगों में म कोई भंग जनना की नं.: देवी मंज्वलन कषाय ४. नवनो कषाय. ये १६ कपाय जानना १२ ज्ञान मति अन अवधि मनः पयंय ज्ञान ये(४) 11-५-६ केभर जानना ४ का मंग का नं. १ के मजिक भंग ४वा भंग के भंग में मे काद:
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy