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________________ चौतीस स्थान दर्शन १ १३ संयम सामायिक छेदोपस्थापना १४ वर्शन सुदर्शन चक्षुदर्शन अवधिदर्शन मे (३) १५ नेस्या शुक्ल 'लेश्या १६ भव्यत्व १७ सम्यक्त्व उपशमादिक स १८ संशी १६ आहारक १० उपयोग को नं० ६ रेनो २१ म्यान テ २२ प्रावि को न० देखो २५ भाव २ को नं० १० देखी (१४) कोष्टक मं २ २ का भंग की न० १८ के मुि ३ ३ का भंग को नं० १८ के मुजिब १ शुक्ल लेश्या को नं० १६ देखो १ मव्यत्व को नं० १८ देख २ २ का मंग को न० १८ के सृजिब १ सज्ञां जानता को नं० १८ देखी १ आहारक जानना को नं० १० देखो 19 ७ का भंग को नं० १८ के मुजिब १ पृथक्त्व वितर्क विचार मुक्त ध्यान को नं. १० देखो २२ २ का भंग १८ के मुजिब د २६ २३ का मग को नं० १८ के मुजि को नं० १० दे १ भा २ का मंग १ भग ३ का भग को नं० १० देखो १ १ १ मंग २ का मंग १ १ १ मंग १७ का मंग मारे भंग ५-६-२ के भग को नं० १० १ मंग १७ का भग को नं० १८ देख कर्यकरण गुण स्थान पू ज्ञान जानना का नं० १८ देखो १ संयम २ के संग में से कोई १ संयम जानना १ दर्शन ३ के भंग में मे कोई १ दर्शन जानना को नं० १८ दे १ १ १ सम्मवस्व २ के मंग में से कोई १ सम्यक्त्व जानना १ १ १ उपयोग ७ के भंग में से कोड १ उपयोग जानना १ १ मंग ५-३७ के मंगों में ने कोर्ड १ मंग जानना को नं० १० दे १ भंग १७ के अंगों में से कोई भंग जाना को नं १८ दे
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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