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________________ पृष्ट ७९ ८१ ८१ ८५ ८६ ત ७ ܀ पंक्ति २० ४ ८५ २ १२ २ ६ १९ ८२ २३ भाव ८५९० टकारा पाया है अर्थात ८५ ८६ ८७ ८८, ८९ ) ८९) ८९) ८५ घ) ८९) ८९५) ९० इस प्रकार टांक समझना ८७ ८७ ८७ ८८ ८९ ८९ क १६ ८९ १२ ८९ ग ९ ८९ २ ९२ २८ १ १९ १ ९० ८ ९० से १९ अशुद्धता का ८ में १-१ के को. ५ में ३ का मंग का. २ मे १ १ (9) t का १ में १३ माव का कागा २६ का ५ में १ का भंग का. ६ में १ ले ये का. २ में १३ ५ में १ से में कोई का. ६ में से ४ में का. ३ में ऊपर के २ का. ४ में को. नं १ के का २ में ३ का ५ में ३-१ के का में जान का ६ में १ बटाकर ३ ३ का. ५ मे ६ के का. ४ और ५ मे १ २ से ६ ८०१ ९-८-७-६-५-४ के का. ७ में का. ३ में मे ३ इन्द्रि योग 17 का. ४ में १ से गुण मे का. ६ में ७ का मंग १२ १ १२ 14 ९२ १७ ९२ २१ ९१ ૪ ९२ ८ ९३ १-२ के बीच में का, ३ में ९३ } सुजता 피아 ६ का अंग कालम में के २ रे से ७ में नरक के सामने कोरा जगह में कॉटन ४ ओर ५ के भंग का केस जानना. ४ मे १ मे ४ बु का २ मे २० १ से ४ में से कोई गा. २६३ १० का मंग १ ले ४ ११ १४ ऊपर के २३ को १८ E १-२ के ज्ञान ३ ९ पटाकर और १६ के (-) इन पृष्टों में जहाँ जहां गुण, गुणमे, गुण जानना ऐसा लिखा है वहां वहां गुणगुण में गुण जानना इस प्रकार समझना कालम ४ मे १ से ५ गुण २ रे से ५ गुण ९-८-७-१-४ के १ मंग जानना ४ एकेन्द्रिय भोग १ से ४ गुभ में ६ का मंग ४-४ के मंग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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