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________________ पृष्ठ पंमित अशुद्धता शुद्धता ६३ १८ ७ जानना का.४ में १ भंग का.४ में जानना कोष्टक नंबर कासम ६-७-८ में ५५+२:५९ ७६ जानना सारेभंग जानना को..१८ देखो कोष्टक नंबर ९ सूचना-इस अनिवृत्तिकरण मुणस्थान में अपर्याप्त अवस्था नहीं होती है। २-१के भंगों सारेभंग ६६८ १ मंग ४ का मंग १ ज्ञान का. ५ में क मंगो का. ४ में का. ५ में का. ३ में ३ का मंग का. ५ में १ज्ञान का.४ में ३-३ के का. ५ में ३-३ के १६ के काल १ में बंधप्रकृतियां १३७ प्रकृतियों होते रे 6 ६-२ के ३-२ के १७ के 6 4 • २५ बंधप्रकृतियां १३८ प्रकृतियों होते हैं १४ लाख कोटिकुल जानना ७०८ ७० ७-८ २के भंगमें से कोई योग जानना गुणस्थान में ७४ ७४ ७ ११ को न. १० के २३ भाचों में से ९ का मग कोटि ४ कुल जानना का ४ में १ मंग ३ काम मंग का ५ में कालम ५ में १का भंग का ६-७-८ में गुण में का. ५ में के का, २ में को. नं ५ देखो का ४ में ९ के मंगमें से कोई एक योग जानना का, २ में १ का. २ में कषाय १ का ६ मे १का मंग 1) सारेभंग का ४ में सारेभंग का, ५ में सारेभंग का.५ में सारेभंग कायबल १ कषाय २ का अंग 14725 . 1 १ मंग १ भंग नंग
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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