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________________ ( ७५३ ) (२) प्रकृतियों के संक्रमण का नियम पाव किस प्रकृति में कितने संक्रमण (पांच संक्रमणों में से) होते हैं इसका विघरण : प्रकृतियों की संख्या संक्रमणों की संख्या और नाम | जलन | विध्यात अधः । गुरण | सर्व० । विशेष विवरण | संक्रमण संक्रमण | प्रवृत्ति / संक्रमण संक्रमण १९ प्रकृतियों में यह १ जानना जोड़ १२२ प्रकृतियों में प्रायु के ४ प्रकृति नहीं है, परन्तु वर्णादिक के ४ प्रकृतियों के जगह शुभ यदि ४ भौर अशुभ वर्णादि ४ ये ८ प्रकृति इनमें लिया है इससे सब मिलकर १२२ प्रकृतियों होती हैं। (देखो गो० क. गा० ४१८) उन प्रकृतियों को तथा उनके संक्रमणों को कम से बताते हैं। अर्थात् किस प्रकृति में कौन सा संक्रमण होता है इसका खुलासा (कोष्टक नं० १४२ गो० म० गा.४१० से ४२८ में देखो।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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