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________________ ३०. उदीरणा को व्युमिति गुण स्थानों में क्रम से कहते हैं (देखो मो० क० गा० २८१-२८२-२८३ और को० नं०६१) गुण स्थान भन् उदीरणा उदीरणा | वीरगा | फ्युच्छि विशेष विवरण १ मिथ्यात्व कोष्टक नंबर ६. के समान जानना सासादन ४ प्रसंयत ५ देश संयत - ६ प्रमत्त ८ = उदय के ५+ ३ साता-ग्रमाता-मनुष्यायु ये ३ जोड़कर ६ जानना --- ७ अप्रमत्त ४६-४६ अनुदीरगा में साता-असातामनुष्यायु ये३ प्रकृति बढ़ाकर ४६ जानना मौर उदीरणा के ७६ में से यही ३ घटाकर ५३ जानना ४- को० न ५६ के समान प्रकृतियों का नाम जानना ८ अपूर्वकरण को नं०६० के ममान जानना ६ मनिवृत्ति १. सूक्ष्म सापराय ११ उपशांत मोह १२ क्षीणमोह १३ सयोग के ३६ ८३=६८+१६:५४-१तीर्थकर घटाकरः३. ३६-४२ में से साता आदि ३ घटाकर ३६ जानना १४ प्रयोग के । १२२ । . .
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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