SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 727
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०६५ अनाहारक में ' देतो २३ भाव उपशम सम्यक्त्व १, उपशम चारित्र , कुमवधि शान, मनः पर्यय शान १, सरागसयम, ये ५ घटाकर (१) मनुष्य गति में १३ का भंग-को. १८ देखो . सूचना:-पेज नं० १९३ पर देखो ! (४) देक्गति में सारे भंग १ भंग ४३-३८-३३-४२-३७-३३ को० नं. १६ देखो । को० नं०१९ ' -३३ के. मंग-को० नं० १६ देखो सारे मंग भंग ! सारे भंग । १ भंग को.नं. १८ देखो को नं०१८ (१) नरक गति में को.नं०१६ देखो । को००१६ | देखो २५-२७ का मंग को० नं. १६ देखो (२) तिर्यंच गति में सारे भंग : १ भंग २४-२५-२७-२७-२२-२३-को० नं०१७ देखो को० नं०१७ २५-२५-२४-२२-२५ के भंग-को.नं०१७ देखो |1) मनुष्य गति में सारे भंग । १ मंग २७-२५-३०-१४-२४-२२-कोनं. १८ देखो। को नं०१८ । २५ के भंग-को० नं. 1 १८ देसो (४) देवगति में | सारे भंग १ भंग (२६-२४-२६-२४-२८-२६- को० नं०११ देखो । को.नं०१९ २१-२६-२६ के भंग देखो | को० नं०१६ देखो । देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy