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________________ भवणाहना- ३॥ हाथ से ५२५ धनुष तक जानना । बंब प्रकृनियां -१३वे मुरण में ! साता वेदनीय जानना । १४वे गुण में बंध नहीं, प्रबंध जानना । ग्रुप प्रकृतियां- ४२ और १४वे गुण में १२ प्र० का उदय जानना । को० नं० १३-१४ देखो। सस्व प्रकृतिया- ६५ और ५-१३ प्र. का सत्ता जानना । को न०१३-१४ देखो। सम्या -को० नं०१३-१४ के समान जानना। क्षेत्र-लोक का असंस्थातवां भाग जानना। असंख्यात भाग लोक, सरलोक ये सब भेद केवल समृदयात के समय में जानना को० नं० २६ देखो। स्पर्शन-ऊपर के क्षेत्र के समान जानना । काल-सर्वकाल जानना । अन्तर-कोई अन्तर नहीं। गति (योनि)- लाख एनाय योनि लानना। कुल-१४ लाख कोटिकुल मनुष्य की जानना ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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