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________________ १० वेद ११ कवाय २ को० नं० १ वेस्बो (१) नरक गति में – १ नपुंसक वेद जानना को० नं० १६ देवो १२ ान 1 (२) नियंत्र - मनुष्य गति हरेक में ३-२ के भंग को० नं० १७-१० देखो ! (३) बेड गति में २-१ के भंग को० नं० १६ सा २१ - (१) नरकगति में १६ का मंग को० नं० १६ देखी निर्यच – मनुष्य गति में हरेक में २१-१० के भंग को० नं० १७-१८ देखी (३) देव पति में - २०१६ के मंग को सं० १६ देखो ३ ३ को० नं० १ देखो चारों गतियों में हरेक में ३ का मंग को० नं० १६ से १६ देखो ११ अनंतानुबंधों कषाय ४२ टाकर २१ जानना १३ संगम चौंतीस स्थान दर्शन १४ दर्शन १५ लेश्या ३ को० नं० १६ देख असंपम १६ भव्यन्त्र को० नं० १ दे ४० ) कोष्टक नम्बर ३ मव्य " १ चारों गनियों में, हरेक १ में असंयम जानना को० नं० १६ १६ देखी ५ चारों गतियों में, हरेक में ३ का मंग को० नं० १६ से १६ देखो व (१) तरक गति में ३ का भंग को० नं० १३ देख (२) निमंद - मनुष्य गति में हरेक में ६-६ के भंग को० नं० १७-१० देखो (३) देवगति में १-३-१ के को नं० १३ देखो ? चारों गतियों में, हरेक में भव्य जानना को० नं० १६ मे १६ देखो १ वेद १ मंग को० नं० १६ देखी को० नं० १६ देखो कां न० १३-१८ देखी की० नं० १२-१८ देखी को० नं० १६ देखी सारे मंग को० नं० १६ देखी १ मंग को० नं० १६ देखो को० नं० १६ देखो को० नं० १७-१८ देखो को० नं० १६ देखी १ भंग १ ज्ञान को० नं० १६ से १२ देखो को० नं० १६ से १६ देखो I को० नं० १७-१८ देखी | नं १२ देख सासादन गुण स्थान १ १ को० नं० १६ मे १६ देखी को० नं० १६ मे १६ देखो १ भंग १ दर्शन को० नं० १६ मे १८ को० नं०१६ से १६ देखी १ म क० न० १६ दन्त्रों फो० नं० १७-१ देखी को० नं० १६ देखो १ को० नं० १६ देखी ० नं०१७-१८ देख नं० १ | को० नं० १६ से १३ देखो कॉ० मं० १६ से १६ देखो 6--0
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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