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________________ चौवीस स्थान दर्शन कोष्टक नं.३ मामादन गुण स्थान - . ६ जानोपयोग १० मम्यरत्न मिथ चारी गलियों में हार गे: मिना को नं.१६ गदखा को नं०१६ से १६ देखा का नं. १६ मे १६ दखी १- मनी मंजी चारों गलियों में, हरक में १ संजी जानना को को नं०१६ मे देखो "को नं०१६ मे देखो नं. मे १९ देखो १६ पाहारक "ग्राबारक पाहारक चागं गनियों म. हरेत्र में प्राहाक जानना का न १६न १६ तम्तो को न देखो | फो नं०१म१६ देखा २. उगमांग ४-६ के भंग ..कोई रंग कोई 1 उपयोग चारों गलियों में, हरेक में ६ का भंग की का नं. १८ मे १३ देखो को न०१६ १६ देखो दर्शनोपयोग : नं.१ में १६ के मुजिब जानना . १ ध्यान का भंग कोई १ च्यान मानध्यान , द्रध्यान ४, माना। नारों गतिवों में हरेक में ६ का भंग को नं०१६-११ देखो को नं०१६ से १६ विचम धर्मध्यान ध्यान जानना को नं० १६ मे १६ के मुजिब जानना २२ प्रापत्र सारे भंग मिध्यान्व ५, अनमानबंधी (१नरक गति में-४ का भंग | को नं.१६ देखा । को नं.१६ देखो' कवाय ६, प्रा. मिश्रकाय को नं १६ के मुजिब जानना योग १. पा. कायद्योग लियं च-मनुष्य पनि हक में ५२-१ के | को नं.१७-१८.देखो ! को नं.१७-१८ देखो प्रो. मिथकायद्योग, भंग को नं. १३-१८ के मुजिव जानना । व• मिश्रकायद्योग । (३)पंच गनि में- ४१-४० के अंग को ! को ने. १६ देखो . | को २०१६ देखो। कार्माणकायद्योग, ये :८ । नं. ११ के मजिव जानना नटाका ४३ पासव जानना मारे भंग कुजन ३, दर्शन, (१) नरक गान में-२५ का मंग को · को में०१८ देवो । को न०१५ देखो। लगिनि , लिंग: नं.१ के मुजिब जानना कवाय ४, लण्या E, प्रमंयम १. (२) निर्व च-मनुष्य गति में हरेक में 0-२६ के- को नं.१- देखो । को नं०१७-१८ देखो अज्ञान १, अमिद्धन्द ..मन्यत्व १ भंग को नं०१७-१८ के मुजिब जानना ये ३३ भाव जानना (६) देव गति में-२४-२६-२३ के भंग को को २०१६ देखो | को नं०१८ देखो नं० १६ के मुजिब जानना १ भंग को नं.
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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