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________________ कोष्टक नं०६१ संज्ञो में चर्चातास स्थान दर्शन १ । २ (2) नरक-देवगति में को. २०१६- कोन०१६-१६ (१) नरक-देवनि में कोन- १६-१६ को नं०१६१६ देखो देखो। हरेक में | देखो । १६ देखो ६ का भग १.२ के मंग को० नं०१६-१९ देखो । को नं०१६-१६ देखा (२) विर्यच गनि मे १ भग १ योग । (२)तिर्यच गति में १ भंग १ योग - के भंग को.नं. १७ देखो को.नं. १७ देखो १-२-१.२ के मंग को० नं० १७ देखो कोनं०१७ देखो कोनं. १७ देखो को.नं. १७ देखो (३) ममृष्य गति में साना (४) गनुप गति में । सारे भंग योग ह-8--६ मंग को.नं०१८ देखो कोनं-१८ देखो १-३-१-१-२ के भंग को००१८ देखो को०१५ देखो को० नं०१८ देखो को० नं. १८ देखो १०वेद ३ कोनं. १ देखो । (१) नरक गति में | (१) नरक गति में १ नमक वेद जानना १ नपुसक वेद जानना को० न०१६ दलो को० नं०१६ देतो (२) तिर्षच गति में १ भंग १ वेद (२) तिर्वच गति में । भंग वेट ३.२ के भंग को० नं१७देखो को००१७देखो ३-६-२-१ के भंग का० नं. १७देखो कोनंटेलो को० नं०१७ देखो | को.नं. १७ देखो । | (३) मनुष्य गति में सारे भंग १ वेद । (३) मनुष्य गति में । सारे भंग वेद 1-1-३-१-१-३-२-१-०-को० नं०१८ देखो कोन०१८ देखो ३-१.१.२.१ मंग को० नं० १- देखो कोनो २के मंग | कोनं १५ देखी को नं०१८ देखो (४) देवगति में 5.रे भंग १ वेद i) देवगति में सारे भंग द २१.१के अंग को० न०१६ देखो कोनं१६ देखो । २-१-१ के मंग को० नं०१६ देखो कोन०१६ देखो| कोनं० १८ देखो कोनं.१६ देवो । मारे भंग । मंग : मारे भंग १भन का न.१देखो (१) नरक नति में १६ देसो कोनं०१६देखो (१) नरक गति में को.नं.१६देखो कोनं-१६देखो १६ भंग २-१६ भंग को.नं. १६ देखो कोन०१६ देवी
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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