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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नम्बर ६१ संजी में देषों - --- | (निपन गन में सारे भंग । १ मंन (२)निच गनिमे गार भंग १ मग । २५-२५-२१-१७-२५.२० को० नं०१० दन्यो । कीन०६७ २५-१ -२५-२६ के भंग कोम०१७दयो । मा० न०.७ के भंग-को नं० १७ । देखो | को: नं.१५ देखो देखो । (३) मनुष्य गति में मान भंग १ भंग (३) मनुप्य गनि में । मारे भग । १ भंग । २५-११-११-२४-१ को न दो की नं.१८ २५-६१-१७-१३-११-१३- की नं०१८ देखो। को० नं.१८ भंग-मो. नं.१ षो। दलो । देखो (४) देवादि मारे भंग २४.२० मंग-को ना 26-२४-१९-३-१-१३ , न १६दलो कार नं. १६ १- देखो के भंग-को० नं0 वर्गाम सारे भंग १ मंगदमो २४-२०-२१.११-१६ के को००१९ देखो' को०० | भंग-कोन, १६ देखो १२ जान । सारे भंग केवल ज्ञान परकर (१)नरम गान में को नं.१६ देखो' को न: १६ बधि जान मन: पब ( ३-३ के भंग-को. नं. । । देखो जान २ वटाकर (2)। १) नरक गति में को नं: १६ देयो को नं . | (२ तिर्यच गति य १ मंग । १ जान २-4 के मंग-को. नं० । दलो ३-३-३-३ के भंगको० नं. १७ देखो ' को नं०१७ | १६ देदो मंच मान को १७ देखो देखो ।(२)नि गनि में यो को (३) मनुष्य इति में सारे भग वान । -- के भंग ३-३.४.1-1-३-३के भंग को न०१- देखो, कौर नं०१८ | कोन-१७ इन्वा । कोल०१० देगे . देखा ।.३) मनुष्य जात में न मार भगवान देवगति में सारे मंग ज्ञान । २-३-३२-३ . भंग को न तो को.नं. १ ३-३ के भंग-को नं. को १६ देखो को० नं०१६ कोरन १८ देवा स पो देवो ।१४ दबति में मां भंगना ..-२-३-६-भंग को नं १९ देना को न ? ना. १६देखो सारे . . को नं० २६ दंलो . (१) नरक-वचन में हक में ' यगयम जानना न १६-१८को० नं०१६-मंयम, सागायिक देशो देवो । छेदोषम्मापना परिहार ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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