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________________ चोतोस स्थान दशन । ६५४ । कोष्टक नं . संज्ञी में ४ प्राण १ मंग . १ भंग १ मंग' । १ भम कोनं०१ देखो चारों गनियों में हरेक में कोनं १६ से १६:कोल्नं०१६ से | चारों गतियों में हरेक में को० नं. १६ में को००१६ मे १० का मंग देखो १९ देखो ।७का मंग १६ देखो | १६ देखो को० नं.१६ से १६ देखो - को नं.१६ से १६ देखो ५ संज्ञा १ घंग १ भंग । १ भंग १ मंग को देखा (१) नरक-तिर्थचन्दवानको नं० १६-१३- कोनं०१६-१७ (नरक-नियंच-देवमति को० न०१६-१७- कोनं०१६-१७. में हरेक में १६ देखो ! १६ देखो में हरक में देखो देखो ४का भंग ४का भंग को० न०१६-१७-१६ | को.नं. १६-१७-१६ देखो (२) मनुष्य गदि में सारे भंग १ भंग (२) मनुष्य गति में . सारे मंग । १ भम ४-३-२-१-१-०-४ के अंग कोनं०१८ देखो कोन०१८ देखो ४-४ के भंग को नं १८ देखो को.नं.१८ देखो कोनं०१८ दसो | को० नं०१८ देखो ६ गति १ गति गति १ गति । १ गति कोः नं १ देखो चारों गति जानना चारों गति जानना ७न्द्रिय जाति । संजी पंचेन्द्रिय जाति । चारों गनियों में हरेक में पर्याप्तवत् जानना १ संजी पचन्द्रिय जाति जानना को.नं. १६ मे १६ देखो ८ काय उसकाय चारों गतियों में हरेक में । पप्निवत् जानना १ प्रसकाय जानना को न०१६ से १६ देखो, ६ योग १ भंग । १ योग को नं०२६ देसो प्रो. मिश्रकाययोघ १, और मिश्रकाययोग १, | 4. मिश्नकाययोग १, 40 मिषकाययोग १, प्रा० मिटवायांग, मा० मिथकाययोग १, कामांरण का योग कार्मारग काययोग १. मे ४ योग घटाकर (११) ये ४ योम जानना -- - १ भंग । योन
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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