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________________ पताल स्थान दर्शन कोष्टक नं. ८६ क्षयोपशम सम्यक्त्व में बज जान पटाकर (३) | (.) देवगति में ! सारे भंग १ भंग (1) देवगति में सारे ग १ भंग २३-१६-१६ के भंग को नं०१६ देखो कोन. १६ देखो १६-१९-११ केभंगको० नं०६ दत्रा कोनं.१६ देखो को.नं०१६ देखो को नं० १६ देखो सारे भंग १शान । सई भंग । १शान (१) नरक पनि में को नं. १६ देखो कोनं०१६ देखो मनः पय ज्ञान पटाकर ३ का मंग । को० नं०१६ देखो (१) नरक गति में को ना देखो कोनं १६ देखो (B) नियंच गति में भंग १ज्ञान का भंग । २-३ के भंग को० नं०१७ देखो कोनं० १७ देखों को नं. १६ देशो को ०७ देतो . (२) निर्यच गति में । १ भंग १ ज्ञान 18) मनुष्य गति में : मारे भंग | १ज्ञान ! भोग भूमि में कारनं. १७ दग्दो कोनं० १७ देवो को० नं। १८ देखो कोन०१८ देखो का भंग को.नं. १५ देखो को० न०१७ देखो (४) देवगति में . सारे भंग जान (३) मनुष्य मनि में ' मारे भंग १जान ३ के भंग को नं. १६ देखो कोनं०१६ देखो - के मंग नांनं. १८ येवो कोनं १८ देखो की.नं० १६ दला | को. नं. १८ देखो। (४) देवगति में मारे भंग | ज्ञान '-३ के भंग नं. १६ देखो को नं. १६ देखो को० . १६ देखो १ संयम (१) नरक-देवगति में को० नं. १६- कोनं०१६-18 संयमानंयम घटाकर () । हरेक में | १६ देखो देखो नाक-देवगति में कोन १६-१ को नं०१६१ प्रमयम जानना हरेक में देखो १६ देखो को.नं.१६-१६ देखो १ असंयम जानना (२) तिर्वच गति में १ भन १मयम की नं०१६-१६ देखो। १-१-१ के भंग को०१७ देतो कोनं०१७ देखो (२)निर्वच गति में १ मंग १ भंग कोनं०१७ देखो | भोग भूमि में को.नं. १७ देखो कोन०१७ देखो (३) मनुष्य गति में सारे भंग १गंयम १ असंयम जानना १-१-३-२-३-1 के भंग । कोनं० १८ देखो कोने १८ देखो, को.नं. १७ देखो को.नं. १८ देखो १३ संयम सूक्ष्म सांपराय', यथास्यात १ये २ घटाकर (५)
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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