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________________ दौनीस स्थान दर्शन कोष्टक नं० क्षयोपशम सम्यक्त्व में (२) मनुष्य गति में सारे मंग - १ भंग ! १-२-१-१-२ के मंगको००१८ देखो' कोन०१८ | कोन०१८ देखो। १० वेद को. नं०१ देखो कोनं०१६ देखो को २०१६ 18) नरक गति में १ नसक देद जानना ___ को.नं.१६ देखो (१)तियंच पनि में ३-२ के भग को नं०१७ देखो | (6) मनुष्य गति में ३-३-३-१-३-२ के भंग को० नं०१८ देखो (४) देवगति में २-३-1 के भंग को० नं० देखो को० नं. १६ देखो को नं०१६ | स्त्री-वेद घटाकर (२) देखो (१) नरक गति में नपुंसक वेद जानना १वेद : को० न०१६ देखो | को.नं. १७ देखो कोन.१७ (२) तिर्यंच गति में देखो पुरुष वेद जानना । सारे भंग १ वेद को०० १७ देखो कोनं. १५ देखो को.नं. १८ । (३) मनुष्य गति में देखो १.११ के भंग सारे भंग १वेद कोने०१८ देखो को नं०१६ देखो को नं. १९ ।४। देवगति में देखी 1.1 के भंग को. नं.१६ देखो को० न०१७ देखो को.नं. १७ देखो मारे भंग को न १ देखो' को न०१८ | सारं भंग कोः नं. १६ देखी ! देखो सूचना:-पेच ६४० नं० पर अनन्तानुबंधी कपाय ४ घटाकर (२१) सारे भंग i मारे भंग १ भंग (१) नरक गति में को.नं. १६ देखो को.नं.१६ ! स्त्री वेद पटाका (0) १६ का भंग । देखो १) नरक गति में को० नं०१६ देखो को.नं.१६ को० नं०१६ देखो ११ का भंग-को० नं. दमो (२) तिर्यच गति में सारे भंग १ मग १५ देखो २१-१७-२० के भंग को.नं. १७ देखो को नं०१७ (२) तिर्यच गति में सारे भंग । १ भंग को० नं०१७ देखो देखो | भोगभूमि में १६ का भंग- को० नं० १७ देखो| को० नं०१७ (३) मनुष्य गति में सारे भंग । १ मंग | को.नं. १७ देखो २१-१७-१३-११-१३-२० को नं.१५देखो को.नं. १८ ) मनुष्य गति में | सारे मंग । १ मंग के मंग--को० २०:५ देखो । १३-११-१६ के मंग को० नं.१५ देतो को० नं. १८ देखो को० नं. १८ देखो NE
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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