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________________ मैंतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०८६ क्षयोपशम सम्यक्त्व में --- ---- -- ७ इन्द्रिय जाति पंचेन्द्रिय जाति | चारों गतियों में हरेक में ! (१) नरक-मनुष्य-देवयति चो० न०१६-१८- कोनं०१६-१८१पंचन्द्रिय जाति जानना । में हरेक में १९ देखो | १६ देखो को० नं. १६ से १६ देवो। १ पंचेन्द्रिय जानि जानना को० न०१६-१५-१६ देतो (२) तियेच गनिमें भोग भू. में को०१७दमी कोनं०१७ देवो ! १ पंचेन्द्रिय जाति | को.न. १७ देखा ८ काय उसकाय | (१) चारों गतियों में हरेक में पर्याप्तत जानना १ त्रसकाय जानना को १६ से १६ देखी योग १ भंग योग १ मंगयोम को००२६ देखो। यौमिथकाययोग है। पौल मिश्रकाययोग १, | २० मिनकाययोग १, चं. मिश्रकाययोग १. । बा. मिथकापयोग १, प्राक मिश्रकाययोग, कारिण काययोग ? कामणि का-योग ये ४ पटाकर (११) [ ये ४ योग जानना .. (१) नरक दव-गति में को० नं०१६-१६ कोनं० १६-१६ (१) नरक-देवगत्ति में को० नं०१५-१६ को००१६-16 हरेक में | देखो ९ का भंग ।१-२ के भंग को० नं०१६-१६ देखो को० नं०१६-१६ देखो (२) तिर्यच गति में १ मंग योग (भतिच मति में भंग १ योग E-6 के मंग को नं १७ देखो को२०१७ देखो भोग भूमि में कोन १७ देखो को नं०१५ को को.नं.१७ देखो (३) मनुष्य गति में । मारे मंग१ योग को नं. १७ देखो १-६-६-६ मंग को नं० १८ देखो कोनं०१८ देखो। को० नं. १८ देखो । देवो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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