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________________ चौतीस स्थान दर्शन १५९५ ) कोष्टक नं० ८२ अभव्य में () नरक बति में सारे भंग मंग (१) नरक गति में सारे भंग १भंग ४६ का भंग को० न० १६ देखो | कोनं०१६ ४२ का भंग-को० नं. कोल नं.१६ देखो 'को.नं. १६ को नं०१६ देसो ! १६ देखो देखो (२) तिथंच गति में । सारे अंग १ भंग (२) तिथंच गति में सारे भंग १ मंग ३६-३८-३९-४०-४३-५१- को.नं. १७ देखो ३७-३८-३६-४०-४३- को नं०१७ ५७ के भंग-कोन. १७ ४४.४३ के भंग-को देखो नं. १७ देखो (1) मनुष्य गति में सारे भंग १ (३) मनुष्य गति में सारे भन ५.-५० के भंग को००१८ देखो को- १८४४-६३ के मंग कोर नं. १- देखो | को० नं०१८ को० न०१८ देखो देखो को० नं०१८ देदो ! देखो (४) देवगति में । सारे भंग १ मंग (४) देवगति में मारे भंग १ भंग ५०-४६ केभंग को.नं. १६ देखो को नं. १६. ४३.४. के मंग को नं०१३ देखो। को० नं०१६ को० नं०१६देगी को० नं०१९ देखो देखी - सारे मंग " मंग । ३२ सारे मंग को.नं.१ के ३८ (१) नरक गति में को० नं० १६ देखो | को.नं. १६ कुअघि ज्ञान घटाकर को० न०.६ देखो [को० नं० १६ भावों में से १ भव्य । २५ का मंग-को. नं० | देखो देखो घटाकर 21 जानना १६ के २६ के भंग में में: (१) नरक गति में १ भव्य घटाकर २५ का ।२४ का भंग को० नं. भंग जनना १६ के २५ के भंग में से (E) निच गति में सारे भंग ! १ भंग १ भव्य घटाकर २४ । २३-२४-२६-३०-२: के को.नं. १७ देखो को.नं. १७ | का भग जानना मंग-को नं. १७ के देखो (२७ तिर्वच गति में मारे गंभ १ मंग २४-२५- ७-३१-२७ के. २३-२४ २६-२६-२३ के को० न०१६ देखो । को० हरेक मग में मे १ भव्य भंग-की नं. १७ के घटाकर २३-२४-२६-३७ २४-२५-२७-७-२४ के २६ के भंग जानना हरेक भंग में से १ मब्ब (२) मनुष्य गति में सारे भंग १ भंग घटाकर २३-२४-२६३३-२६ के भंग-को. नं. को० नं. १८ दको को.नं. १८ २६-२३ के भंग १८ के ३१-२७ के भंग जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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