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________________ चीतास स्थान दर्शन कोष्टक नं. ८२ अभव्य में - - - - - - - -- - - - - १६ पाहारक माहारक, अनाहाक चार्ग मतियों में हरेक में को.नं. १६ मे को.नं.१६ से चारों गतियों में हरेक में | को० नं.१६ से कोन.१६ पाहारक जानना १६ देवो । १६ देखो 2-1 के भंग जानना १९ देखो | १६ देखा को नै १६ १६ देजा, ' को न १६ से १६ देखी २० उपयोग भंग १ उपयोग | १ भंग ! उपयोग ज्ञानोपयोग, (१) नरक गति में कोन १६ देखा काग०१६ देहों कुपवधि ज्ञान घघटाकर ।। दर्शनोपयोग २ ५ का भंग ये ५ जानना को० नं. १६ देखो । (१) नरक गति में को० नं. १६ देखो का नं १६ देखो (२) निर्यच गति में ३.४-५-५ के मंग को.नं. १७ दंखो कोनः १७ देखो को नं. १६ देखो को.नं. १३ देखो ' तिर्वच गति में १ भंग १ उपयोग (३) मनुष्य गति में | सारे मंग पयोग ।३.४.-.-४ के मंगको न०१७ देखो कौनं १७ देखो ५-५ के भंग को न०१८ देखो को.नं. १८ देखो को० न० १७ देखो . को नं. १८ देखो | (३) मनुष्य गति में सारे भंग १ उपयोग । (४) देवगत्ति में १ भंग १ उपयोग । ४-४ के मंग को० नं० १८ देखो कोनं०१८ देखो ५ का भंग को.नं०१६ देखो बो०० १६ देखो को नं०१८ देखो । को० नं० १६ देखो (४) देवगति में सारे भंग १ उपयोग ४-४ के मंग को नं. १६ देखो कोनं०१६ देखा ! को.नं. १६ देख। २१ ध्यान | सारे भंग १ ध्यान । सारे भंग १ ध्यान कोन १ देखो । चारों गतियों में हरेक में | को०० १६ से कोनं-१६ से। (१) चारों गतियों में कोनं.१६ से १६ कोनः ६ से का भंग जानना १४ देखो १६ देखा हरेक में । देखो १६ देखो को० नं १६ से १६ देखो | का मंग जानना को० नं०१६ मे १६ देखो। २२ मानव सारे भंग १ मंग ४५ । सार भंग १ मंग आ० मिथकाययोग १, औ मिश्रकाययोग १, मनोयोग ४, वचनयोग ४ पाहारफ कापयोग । 4. मिश्रकाययोग १, पौ. काययोग १, ये २ घटाकर (५५) काम्गि काययोग १ वै० कायमांग १, ये ३ घटाकर (५२) | ये १० घटाकर (४५) जानना
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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