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________________ चौंतीस स्थान दर्शन काप्टक नं. ७६ कापोत लेश्या में ( देवगति में को० नं०१६ देखो को नं०१६ २४ के भंग-का० नंक | देखा २६ देखो | गारे भंग गारे भंग कुपवधि ज्ञान घटाकर १२ काम कुज्ञान ३, शान ३ सार भंग १जान कर्मभूमि की अपेक्षा को. नं.७५ देखो । देखो (१) नरक गति में को० नं० १६ देखा की नं०१६ २-३ के भंग-को० नं0 १६ देखो (२) तिर्यंच गति में १ भंग १ज्ञान २-२-३ के भंग-को० नं.को.नं. १७ देखो को नं०१७ १५ देखो देखो (३) मनुप्य गति में जान २-३-२-३ के भंगका नं. १८ दखा! को.नं०१८ कोनं०१८ देखो । देखो (४) देवगति में की नं०१६ देखो ! को न०१६ २ का मंग-को० न० १६ देखो देखो - देखो १३ संयम असंयम मभूमि की अपेक्षा को. नं०७५ देखा । १ भंग १ दर्शन १४ दर्शन केवल दर्शन घटाकर (३) कर्म भूमि की अपेक्षा कोनं०७५ देखो चारों गतियों में हरेक में | कोनं०१६ मे | को०२०१६से १ असंयम जानना देखो १६ देखो को० नं० १६ से १९ देखो १ भंग १दर्शन (१) नरकगनि में को० नं०१६ देखी को नं०१६ २-३ के भंग-को० नं. १६ देखो (२) तिर्यंच गति में को नं०१७ देखो को.नं.१५ १-२-२-२-३ के मंग देखो को० नं०१७ देखो | देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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