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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं. ७६ कापोत लेश्या में मारे भंग १ दर्शन। मोल नं.१- देखो कोन०१८ देखो ! (2) मनुष्य मनि में '२-३-2.2 के अन कोन नं.१ देतो (1) देवगांत में का मंग कोर न देखो को.नं. १६ दग्डो कोन १६ देखो १५ लेपया तीनों गतियों में हरेक में १ कापाल लेश्या जानना २ कम भूमि की अपेक्षा कोल नं. ३५ देखो १६ भव्यत्व मध, अमब्द १ मंग १ अवस्था १ भंग १ अवस्था को.१६-१६ को नं. १६ देखो १६ देखो नरक-देवगति में हरेक में 1-के भंग कोनं-१-१६ देम्बो तिथंच-मना गनि में होक में २-१-०-1 के भंग को न०१७-१८ देम्बो को.नं. १ १ देखी को नं.१७-१८ देखो। सारे भंग सम्यक्त्व १७ मम्यक्त्य कोल्नं १६ देखो कर्म भूमि की अपेक्षा कोनं. ५ देखो मारे भंग | १ सम्यकत्व मिथ और उपशम ये घटाकर (४) (१) नरक गनि में कोने १६ देखो itoन १६ देखो १. मग को० नं.१६ देग्दो (२ नियं च गनि में मंग ।मम्वस्व १-१-१-१-के भंग को.नं.१६ देखो कोनं.१७ दंलो को.नं. देखो (3) मनुष्य गति में सारे भंग सम्यक्त्व १-१-२-१-१-२के अंग को० नं०१८ देखो कोन.१५ देखो को० नं०१८ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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