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________________ चोतोस स्थान दर्शन कोष्टक नं०७६ कापोत लेश्या में १० वेद १ भंग । १ वेद कर्म भूमि को अपेक्षा कोन 52. देखो (२) तिर्यच गनिम मंग ।१योग को० नं. १७ देखो कान०१५ देखो १३) मनुप्य गदि में हरेत्र में मार भंग | योग १.... के भंग को न०१८ देखो कोनं०१८ देखो . को न०१७-१८ देनां । १ भंग १बंद (१) नरक गति में को न०१६ देवा को नं. १६ देखो १ नपुंसक वेद बा० न०१६ देखो (E) निर्यच गति में मंग १बेद ३-१-३-१-३-२-१ के भंगको० नं०१०देवी कोनं०१७ देखो को नं०१७ देना । (३) माय गनिम सारे भंग वेद ३-१-१-१ के मा को नं. १८ दलो को नं०१६ देखो को नं.१ देखो (6) देवगति में मारंभंग १ वेद २ का भंग कोन०१६ देखो कौन०१६ देखो को. नं०१६ देखो | मारे भंग भंग (१) नरक गति में को० नं०१६ देखो को.नं. १६ देखो २३-१६ के भंग को नं. १६ देखो (B) नियंच गति में को.नं.१७ देखो कोउन०१७ देखो ५.२३-२५-२५-२३-२५-: २४-१९ के भंग को० नं०१७ सी (३) मनुष्य गति में को० नं. १८ देखी कोनं०१८ देम्बो २१-१६-२४-११ के नंग ! कारनं.१८ देशों ११ कपाय २५ कोर नं.१ देखो । मारे मंग , १ मंग २५ कर्म भुमि की प्रभा जोन ५ देखो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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