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________________ चौंतीस स्थान दर्शन कोषक ७४ केवल दर्शन में - - ..Morn. - ३ कगिकाय यांग १. ये योग जामना (0) अपगत वेद ११ कषाय (0) अकगाय १केवल ज्ञान जानना १३ संयम १ यथास्यात जानना १४ दर्शन १ केवन दर्शन जानना १५ लेश्या १ शुक्ल लेश्या जानना १६ भव्यत्व भव्यत्व जानना १७ सम्यक्त्व १ क्षायिक सम्परत्व जाननाः १८ मंजी (0) अनुभम जानना १९ पाह सारे भंग १ अवस्था : सारे भंग १ अवस्था माहारक अनाहारक (१) मनुष्य गति में कारनं. १८ देखा को. नं.१% (१) मनुष्य गति में को.नं.१८ देखो | कोन०१८ १-१ के भंग-को० नं. देखो |... के भंग-को नंक | देखो १८ देखो । १८ देखो २. उपयोग ! चुगपत २ युगपत् युगपन | युगपन् ज्ञानोपयोग १, १। मनुष्य गनि में जानना जानना (१) मनुष्य गति में जानना जानना दर्शनोपयोग १. (२) २का मंग-को० नं.१८ २का भंग-को. नं. [१८ दवा मारे भंग | १ न्यान मुमक्रिया प्रनिपानी, । (३) मनु य गति में कोल नं०१८ देयो | को नं०१ व्युपरत मिया निव निनी १-१ के भंग-को० नं. ये २ जानना १८ दलो २२ प्रामा १ भंग मारे भंग १ भंग ऊपर के योग म्थान के औ० मिश्रकाय योग १, । प्रो. मिथकाय योग योग जानना कार्माकाय योग । ___ कार्मागकाय योग ये २ पटाकर ५) 'ये २ माम्मद जानना ।। १। मनुष्य गनि में को.नं-१८ देखो। को नं.१ . (१) मनुष्य गति में कान-१८ देखो | कोनं.१% ५-६-के मंग-नानः ।। देखो २-१ के मंग-को० नं. देखा १६देखो २
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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