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________________ कोष्टक नं०७४ केवल दर्शन में चौतीस स्थान दर्शन स्थान सामान्य मालाप पर्याप्त অবস্থান नाना जीवों को अपेक्षा एक जीव के नाना एक जोब के एक समय में । समय में नामा जीवों की अपेक्षा १जीब के नाना ! जीव के एक समय में | समय में १ गुगा स्थान २जीव-समास संशी पं०प०अप ३पर्याप्ति को.नं. १ देखो सारे मु. १ गुरगः । १३ १४वे ३२ गुण० । दोनों गुग्ण स्थान | कोई १ मुगणवे नुग० जानना १ संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त १ सभी पं. अपर्यास का भंग-कोनं०१६ का भंग जानना ६ का भंग | ३ का मंग-को. नं. ३ १भग ३ का भंग जानना मंग ३ का भंग . का भंग जानना देखो १८ देखा। सारे भंग पायु, काय बल, वासोच्छवास, बचन बल ये (४) । (१) मनुष्य मति में ४-१ के अंग-को. नं० १८ देखो मारे अंग १ भम को० नं०१८ देखो को नं० १८ आयु कामच-नये २) देखो (१) मनुष्य गति में २ कर भंग-को.नं. १८ को० न० १८ देखो | को० न०१८ देखो (0)पगत संज्ञा १ मनुष्य गति १पंचेन्द्रिय जाति १त्रमकाय ५ संज्ञा ६ गति ७ इन्द्रिय जाति ८ काय योग सत्यमनोयोग १. मनुभय मनोयोग १. सत्य वचन योग १ अनुपय वचन योग १ प्रो. काय योग १, पौ. मिश्रकाय योग १ मौर मिथकाय योग कामिण काय योग, ये २ घटाकर (५) (1) मनुष्य मति में ५-३-के मंग-को १८ देखो सारे भय योग १ योग प्रो० मिषकाय योग १ ।। कारि काय योग १. ये २ योग जाना को० नं. १८ देखो को० नं०१८(१) मनुष्य गति में को० न०१८ देखो को २-१के भंग-को.नं. [सं०१५ देखो | देता
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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