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________________ । ५२४ ) परगाहना-संख्यात धनांगुल से (१०००) एक हजार वोजन तक जानना । संघ प्रतिपां-को० नं०२६ के समान जानना। उदय प्रकृतियां- " सत्व प्रकृतियां- " संख्या-प्रसंख्या आनमः । क्षेत्र-लोक का प्रसंख्यातवा भाग जानना । पर्शन-लोक का असंस्थातवां भाग ८ राजु, ६ राजु को नं० २६ देखो। काल-नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल जानना । एक जीव की मपेक्षा को नं० ६३ देखो। अन्तर-नाना जीवों की अपेक्षा कोई अन्तर नहीं । एक जीव की अपेक्षा अन्तर्मुहुर्त से देशोन अर्ध पुद्गल परावर्तन कान तक पधि दर्शन न हो सके। जाति (योनि)-२६ लाख योनि जानना । को० नं. २६ देखो कुल-१०८ लाख कोटिकुल जानना । को नं० २६ देलो ३०
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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