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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०१ ३०-पान सामान्य पाना पर्याप्त मिथ्यात्व गुण स्थान में सफाप्ति १जीत के नाना एक जीव के नाना जीवों की अपेक्षा समय में एक समय में गागा जीव को अपेक्षा सप जीव के माना समय में . जाब के एक भाप में मशन सन १ गुगण मगन चारों गनिनों में हरक मिच्याव क पि गुगार जन जननामि गुणमि गुगा। १ मिच्याव जानना की नं. १ १६ देखी : त्रीव ममान ११ १ ममान १ नापन (केन्द्रिय न न गयो ।) एहिन्द्रिय मृा पर्याप्त मपपर्याः । (२)" "प्रया (२) " वारर ' i) चादर . (३) वादर पनि जान्दिन दबाब निर्या()" "घपया (4) श्रीन्द्रिय " (४) त्रीयि " . 122) डीन्द्रिय पर्वत (2) चनुर्तिव्य" । (४) नुमिन्दिर " (६)" अपयांप्ट (असंका प.. | वसा पं. (७) वीन्द्रिय पर्याप्त भयो पन्द्रिय" (७) मी प. . (८) " पति र्यात प्रथा ये ७ अर्याम अपन्या (६) चतुरिन्द्रिय पर्वात (नरक मन-ब- गनियों में .. १गमाम १ समान 2) रक-मनष्य-देव गुमास समान (१२)' अपर्याः हरेक में कोनं१६-१८- to -१-मति नेहम्म में का ?:-१८-फोनं १-१%(११) अनंती पं. पाठ हो निम्तिव पांग जानना १६ देखी संजी पदिय अपर्यात १६ दयो । १२ ग्डो (१२) " पं० प्रन्यन नं१५.१८- देखो | अन्ना जानना (३) मंडी पं० पर्याप्त । (२) चि गनि में | १ सयाम | १ मा को नं. १६-२८-१६ दना समान । १ समास (१४), "अपर्या | ७ पर्या परम्या डानना की.नं. १७ देखो को नं०१७ देवी (3) निरंच पति में मो० नं०१७ देखी क.नं. १७ देखो १४ जीव समास को नं. ३ देना ७प्राप्त रवस्थ जानना जानना कोन. १७ सो
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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