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________________ २४. २५ २६ २७ २८ २६ 20 ३१ ३२ ३३ ३४ अवगाहना ३ हाथ से ५२५ धनुष तक जानना । - बंध प्रकृतियां - १७ उदय प्रकृतियां - ६० को० नं० १० देख י " सत्य प्रकृतियां - १४२-१३६-१३० - १०२ को० नं० १० संख्या - २६६ र ५६८ को० मं० १० देख क्षेत्र- लोक का प्रसंख्यातवां भाग जानना । स्पर्शन- लोक का प्रसंख्यातवां भाग जानना ( ४८५ ) काल- नाना जीवीं की अपेक्षा एक समय से प्रन्तर्मुहूर्त तक जानना एक जीव की रक्षा की वाले अन्तर्मुहूर्त से प्रन्तर्मुहूर्त जानना और उपशम श्रेणी वाले एक समय से अन्तर्मुहूर्त तक जानना । अन्तर- नाना जीवों की अपेक्षा क्षपक थेली में एक समय से ६ महीने तक जानता और नाना जीवों को अपेक्षा उपास शो में एक समय से व पृथक्त्व जानना और एक जीव की अपेक्षा उपशम श्रेणी में अन्त हुनं दोन अर्ध पुद्गल परावर्तन काल तक सूक्ष्म सांपराय संयम धारण न कर सके छाति (योनि) १४ लाख मनुष्य योनि जानना । कुल - १४ लाख कोटिकुल मनुष्य गति के जालना ।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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