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________________ चौतीस स्थान दर्शन कोष्टक नं०६८ मूक्ष्मसांपराय संयम में १ज्ञान toनं०१८ देखो १ दर्शन को नं. १५ देखो को०० देता १यम्यवत्व की नं - देखो १२ज्ञान सारे भंग केवल जान घराकर () (8) मनुष्य गति में ४ का भंग को० नं०१८देखोकी .नं.१५ देखो १३ संयम १। ।सूक्ष्म सांपराय संयम जानना १४ दर्शन सारे भंग कोन० ६७ देखा (१) मनुष्य गति में ३ का भंग को नं. १८ देखो। को नं. १८ देखो १५ लेश्या शुक्स लाया । (१) मनुष्य गति में १ शुक्ल लेश्या जानना। को नं० १८ देखा कोनं० १८ देखो. १६ भव्यत्व १ भव्य जानना १७ सम्यवाद सारे भग औपशमिक, मायिक य० (१) मनुष्य मान में २ का भंग __को नं. १८ देखा कोनं. १८ देखो १८ सजी १जी जानना। १६ याहारक माहारक जानना २० उपयोग सर भंग मानोपयोग ४, दर्शनोपयोगः (१) मनुष्य गति में ७ का भंग 'को.नं. १८ इत्री ये ७ जानना को० नं. १देखो २१ च्यान पृथक्ष निः विचार (8) मनुष्य गति में १ पृथान वितकं विचार शुक्ल ध्यान जानना का० नं०१८ देखो २२ मामब मारे रंग योग मूक्ष्म योग १ (१) मनुष्य गति में १० का भंग को.नं. १ दवा दे१० जानना कोनं०१८ देखा २३ भाष सारे भग उपशम-सायिक म०२, (१) मनुष्य गनि म २३ का भंग ' कोनं.१% देह उपशम-क्षायिक चरित्र को ना १५ देखो ज्ञान ४, दर्शन ,नधि ५. मनुष्य गनि मूक्ष्म सोभ १. शुक्न लश्या १, प्रज्ञान १.पसिद्धत्व १, जोधत्व भव्यत्य १ उपयोग कोन०१८ देखो भंग का० न०१ दलों १ भंग को म.१०दखा
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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