SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 479
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौंतीस स्थान दर्शन २ २५ का भंग-को० नं० १५ के २७ के मंग में स ऊपर के समान शेष २ जान घटाकर २५ का भग जानना २८-२६-२६-२५-२४-२३२२-२१ २० २०१६-१७ के भंग को० नं० १५ के ३१-२६-२६-२६-२७-२६२५-२४-२३-२६-२१-२० के हरेक भंग में से ऊपर के समान शेष ३ ज्ञान घटाकर २८-२६-२६-२५२४-२३-२२-२१-२०-२० १६-१७ के भंग जानना २७ का मंग-को० नं० १८ | के २५ के मंग में से ऊपर के समान शेष २ जान घटाकर २७ का मंग जानना (४) देवमति में २४-२७-२४-०३ के भंगको० नं० १६ के २६-२६२६-२५ हरेक भंग में से ऊपर के समान शेप २ ज्ञान घटाकर २४-२७-२४२३ के भग जानना ( ४४४ ) कोष्टक नं० ६० सारे भंग ० ० १६ देखी | १ भंग को० नं० १९ देखो ६ (४) देवर्गात में २६-२४-२४ के मगको० नं० १६ के २८२६-२६ के हरेक भंग में पर्याश्वत शेष २ ज्ञान घटाकर २६-२४-२४ के भग जानना मतिश्रुत ज्ञान में सारे भंम को० नं० १६ देखो ८ १ मंग को० नं० १६ देखा :
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy