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________________ चौंतीस स्थान दर्शन १० वेद ११ रुपाय १२ ज्ञान मति श्रुत प्रवधि ज्ञानमनः पर्यय-केवल-ज्ञान | ये ५ ज्ञान जानना १३ संयम १ १४ दर्शन १५ प्रचक्षु दर्शन - पशु दर्शन अवधि र्शन केवल दर्शन १६ भव्यस्व १७ सम्यक्त्व I १८ संजी उपशम स० ये २ जानना १९ प्राहारक १ शुक्ल लेश्या (१) मनुष्य गति में -५-३-० के बंग को० नं० १८ देखो अपगत वेद मकवाय ५ (१) मनुष्य गति में ४-१ के मंग को० नं० १६ देखो १ यथास्यात संयम को० नं० १८ देखो श्राहारक, अनाहारक १ (१) मनुष्य गति में ३-१ के मंग को० नं० १८ देखी १ २ , क्षायिक स० (१) मनुष्य गति में २-१ के मंग को० नं० १८ देखो 1 ५० के भंग को० नं० १८ देख १ भव्य जानना ? (१) मतृष्य गति में १-० के भंग को० न० देखो , (१) मनुष्य गति में १-१-१ के भंग को० नं०] १८ देखो 1 ४१५ } कोष्टक नं० ५७ 닛 सारं भंग १ योग को० नं० १८ देखो को० नं० १८ देखो . D सारे भंग को० नं० १८ देखो o · १ ज्ञान को० नं०] १८ देखो! सारे मंग १ दर्शन को० नं० १८ देखो को० नं० १८ देखी २-१ के भग की० नं० १८ देखी O १ का भंग को० नं. १० देखो १ १ १ का भंग को न० १० देखो १ १ को० नं० १८ देखो को० नं० १८ देखो (१) मनुष्य गति में १ का भग को० नं० १८ देखो १ १ को० नं० १८ देखो को० नं० १८ देखी १ १ सम्यक्त्व सारे मंग को० नं० १= देखो को० नं० १८ देखी (१) मनुष्य गति मे १ का भंन को० नं० १८ देखी १ ل १ अवस्था 1 २ सारे मंग को० नं० १५ देखो कोज्नं० १८ देवी (१) मनुष्य गति में १-१ के भंग को० नं १६ देखी T ७ अकषायों में S सारे भंग २ योग को० नं० १० देखो कां०म० १० देखो सारं भंग को० नं०] १० देखो पं कां०नं० १८ देख Ø T G | १ ज्ञान | को०न० १८ देखी I १ को० नं० १८ देखो | को० नं० १८ देखी १ कॉनं १८ दे १ सारे भंग १ सम्बम्व कौन १८ देखी को नं० १६ देखो १ अवस्था मारे भग को० नं० १८ देखो को० नं० १८ देख
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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